Mumbai News : बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके व्यवसायी पति राज कुंद्रा की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। धोखाधड़ी के एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोनों के विदेश जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेहद कड़ा रुख अपनाया है।
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जब तक विवादित राशि, जो कि 60 करोड़ रुपये है, जमा नहीं की जाती, तब तक विदेश यात्रा की अनुमति मिलना मुश्किल है।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी के वकील ने कोर्ट से लंदन जाने की इजाजत मांगी थी। याचिका में मानवीय आधार पर दलील दी गई थी कि राज कुंद्रा के पिता की तबीयत बेहद खराब है, इसलिए उन्हें विदेश जाने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट का सख्त सवाल: अपराध की प्रकृति क्या है?
सुनवाई की शुरुआत में ही कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझने के लिए अपराध की प्रकृति और इसमें शामिल धनराशि के बारे में जानकारी मांगी। जब कोर्ट को बताया गया कि यह मामला 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ा है, तो न्यायधीश ने कड़े निर्देश दिए। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि याचिकाकर्ताओं को विदेश जाने की इजाजत तभी मिलेगी जब वे पूरी 60 करोड़ रुपये की राशि कोर्ट में जमा करेंगे।
वकील की दलील: ऐसा कोई कानून नहीं
शिल्पा और राज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अबाद पोंडा ने कोर्ट की इस शर्त का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत पूरी विवादित राशि जमा कराने का निर्देश दिया जा सके। पोंडा ने अनुरोध किया कि पूरी रकम के बजाय श्योरिटी (ज़मानत) या किसी अन्य रूप में सुरक्षा स्वीकार की जाए।
कोर्ट को नीयत पर संदेह
अदालत ने अधिवक्ता की दलीलों को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि वह याचिकाकर्ताओं की ‘bona fide’ (नीयत) से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने चिंता जताई कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वे विदेश जाने के बाद वापस लौटेंगे। इसलिए, पूरी राशि जमा कराना आवश्यक है।
बाद में, कोर्ट ने मौखिक निर्देश दिया कि अपनी नीयत साबित करने के लिए याचिकाकर्ता किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की निरंतर (continuous) बैंक गारंटी जमा करें।
बैंक गारंटी पर फंसा पेंच
वरिष्ठ अधिवक्ता पोंडा ने दलील दी कि बैंक गारंटी की राशि को ‘वाजिब’ रखा जाना चाहिए, लेकिन पीठ अपने रुख पर कायम रही। कोर्ट ने कहा कि गारंटी पूरी 60 करोड़ की होनी चाहिए और वह भी निरंतर प्रकृति की। इस दौरान सरकारी पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को अभी तक इस आवेदन की प्रति नहीं मिली है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।
अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद
शुरुआत में कोर्ट ने मामले को तीन सप्ताह बाद लिस्ट करने का आदेश दिया था। इस पर अधिवक्ता पोंडा ने जोरदार विरोध किया और कहा कि वे बैंक गारंटी के मुद्दे पर अपने मुवक्किल से निर्देश लेंगे, इसलिए क्रिसमस की छुट्टियों से पहले सुनवाई की जाए।
उनकी दलील को मानते हुए कोर्ट ने मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। इस मामले में शिकायतकर्ता दीपक कोठारी का पक्ष अधिवक्ता डॉ. यूसुफ इक़बाल और जैन शॉफ की फर्म रख रही है।