90 के दशक की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री Shilpa Shirodkar ने हाल ही में अपने निजी जीवन के एक भावुक और प्रेरणादायक पहलू को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पति अपरेश रंजीत ने उनके सबसे मुश्किल दौर में उनका साथ देने के लिए न्यूज़ीलैंड में अपनी सफल करियर और नौकरी छोड़ दी। यह कहानी न केवल उनके पारिवारिक समर्पण को दर्शाती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और समर्थन के महत्व को भी उजागर करती है।
Shilpa Shirodkar: डिप्रेशन का कठिन दौर
शिल्पा ने खुलासा किया कि 2008 में अपने माता-पिता के निधन के बाद वह गहरे अवसाद में चली गई थीं। यह वह समय था जब वह लंदन में अपने पति और बेटी अनुष्का के साथ रह रही थीं। अपने माता-पिता को इतने कम समय में एक के बाद एक खो देने का दुख उनके लिए असहनीय था। उन्होंने बताया, “मैं हर समय रोती थी, मेरे आंसुओं पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था। मैंने जीवन में रुचि खो दी थी, मैं एक रोबोट की तरह हो गई थी।” इस दौरान वह न तो बाहर जाती थीं, न ही किसी से बात करती थीं। वह केवल अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने और लाने तक सीमित थीं। शिल्पा ने यह भी स्वीकार किया कि इस अवसाद ने उनके व्यवहार को प्रभावित किया, और कई बार वह गुस्से में अपने पति और बेटी पर भी भड़क जाती थीं।
Shilpa Shirodkar: पति का बलिदान और समर्थन
इस कठिन समय में शिल्पा के पति अपरेश रंजीत ने उनके लिए एक बड़ा बलिदान दिया। अपरेश उस समय न्यूज़ीलैंड में अपनी बैंकिंग करियर में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी बेटी अनुष्का भी वहां के स्कूल और दोस्तों के बीच अच्छी तरह से स्थापित थी। लेकिन शिल्पा की मानसिक स्थिति को देखते हुए, अपरेश ने अपने करियर को पीछे छोड़कर भारत वापस आने का फैसला किया। शिल्पा ने कहा, “अगर अपरेश ने उस समय अपने करियर को प्राथमिकता दी होती, तो आज वह बैंकिंग क्षेत्र में बहुत ऊंचे मुकाम पर होते। लेकिन उन्होंने मेरे लिए सब कुछ छोड़ दिया।” यह निर्णय शिल्पा के लिए एक नया जीवन शुरू करने का आधार बना। शिल्पा ने अपनी बेटी अनुष्का और पति अपरेश की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी वजह से ही वह आज इस मुकाम पर हैं।