Shiv Navratri 2025: वैसे तो तीर्थपुरी अवंतिका सदा सुहावनी है, लेकिन इन दिनों ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चल रही शिव विवाह की तैयारी ने इसके सौंदर्य में चार चांद लगा दिए हैं। साफ-सफाई के बाद मंदिर का कोना-कोना दमक रहा है, शिखर की सोनार शिखरियां मनमोह रही हैं। चारों ओर भक्ति और उल्लास का वातावरण है, मंदिर परिसर को भव्य फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया गया है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं, हर तरफ शिव नाम का गूंज है, जिससे पूरी अवंतिका नगरी शिवमय हो गई है।
भक्तों को अब सोमवार सुबह का बेसब्री से इंतजार है, जब शिव पंचमी की पूजा के साथ शिवनवरात्र का शुभारंभ होगा और भगवान महाकाल दूल्हा रूप में विराजेंगे। बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ही एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं, जहां शिवनवरात्र के रूप में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का यह पावन उत्सव पूरे दस दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिव्य आयोजन के दौरान महाकाल मंदिर अद्भुत भव्यता और भक्ति के रंग में रंग जाता है, जिससे समूची अवंतिका नगरी शिवमय हो उठती है।
नवरात्र के इन नौ दिनों में भगवान महाकाल का तिथि के अनुसार प्रतिदिन नये दूल्हा रूप में विशेष शृंगार किया जाता है। हालांकि, इस बार 30 साल बाद सप्तमी तिथि वृद्धि का विशेष संयोग बन रहा है। इसी कारण शिवनवरात्र का यह पावन उत्सव नौ की बजाय पूरे दस दिनों तक चलेगा। शिव भक्तों के लिए यह अत्यंत शुभ अवसर होगा, जब शिव विवाह का यह भव्य आयोजन 17 फरवरी से 27 फरवरी तक उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।
इस उत्सव के दौरान पूजा-अर्चना का विशेष अनुक्रम रहेगा और भगवान महाकाल का दिव्य शृंगार किया जाएगा। महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक नौ दिनों तक शिवनवरात्र उत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन इस वर्ष, महाशिवरात्रि की रातभर चलने वाली पूजा के बाद, अगले दिन तड़के 4 बजे भगवान महाकाल के शीश पर सवा मन फल-फूलों का सेहरा सजाया जाएगा, जिससे उनकी दिव्यता और अधिक अद्भुत हो जाएगी।
भगवान महाकाल को सेहरा धारण कराने की प्रक्रिया लगभग दो घंटे तक चलती है। इसके बाद, सुबह 6 बजे सेहरा आरती संपन्न होती है। श्रद्धालु सुबह 6 से 10 बजे तक भगवान महाकाल के सेहरा दर्शन कर सकते हैं। इसके पश्चात, सेहरा उतारने की विधि पूरी की जाती है। दोपहर 12 बजे विशेष भस्म आरती होती है, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है। भस्म आरती के बाद, दोपहर 2:30 बजे भगवान महाकाल की भोग आरती की जाती है, जिसके साथ शिव विवाह उत्सव की पूजा-अर्चना पूर्ण होती है।
शिव विवाह उत्सव की पूजन परंपरा के अनुसार, महाशिवरात्रि के अगले दिन चतुर्दशी को मंदिर समिति पुजारियों का पारणा कराती है, जिसके साथ यह पर्व संपन्न होता है। इस कारण शिवनवरात्र का उत्सव नौ दिनों तक चलता है, लेकिन चतुर्दशी को मिलाकर यह दस दिवसीय माना जाता है। इस बार तिथि वृद्धि के विशेष संयोग के कारण शिवनवरात्र दस दिन की रहेगी, लेकिन पर्व का समापन ग्यारहवें दिन होगा। इससे भक्तों को एक अतिरिक्त दिन तक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के विशेष श्रृंगार और पूजन का लाभ मिलेगा।
शिवनवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के विशेष पूजन और अनुष्ठान के कारण कुछ समय के लिए दर्शन व्यवस्था में बदलाव का सामना करना पड़ेगा। सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक गर्भगृह में अभिषेक, पूजन और अनुष्ठान का विशेष अनुक्रम रहेगा, जिसके चलते इस दौरान गर्भगृह के गलियारे से दर्शन की सुविधा बंद रहेगी।
इसके अलावा, दोपहर 3 बजे से संध्या पूजन के समय प्रोटोकॉल वाले दर्शनार्थियों को नंदी मंडप और गणेश मंडप के प्रथम बैरिकेड्स से निर्धारित व्यवस्था के अनुसार दर्शन कराए जाएंगे। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे इन विशेष नियमों का पालन करें और दर्शन के लिए निर्धारित समय पर ही मंदिर पहुंचे।
महाकाल मंदिर में 17 से 27 फरवरी तक शिवनवरात्र उत्सव मनाया जाएगा, जिसमें 26 फरवरी को शिवरात्रि महापर्व रहेगा। इस दौरान देशभर से हजारों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन आएंगे।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। मंदिर के अधिकारी, शाखा प्रभारी और कर्मचारियों के साप्ताहिक अवकाश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। प्रशासक द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 16 फरवरी से 1 मार्च तक सभी कर्मचारियों के अवकाश स्थगित कर दिए गए हैं, ताकि आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हो सके और श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्थाएं मिल सकें।