Shiv Navratri 2025: 17 फरवरी से शुरू होगा शिवनवरात्र, जानें किस दिन, कौन-से रूप में दर्शन देंगे महादेव?

Shiv Navratri 2025: उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 17 फरवरी से शिव विवाहोत्सव की भव्य शुरुआत होगी। इस दौरान भगवान महाकाल दूल्हा रूप में विराजमान होंगे और महाशिवरात्रि तक नौ दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे। इस दिव्य आयोजन के तहत प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जाएंगे। महाकालेश्वर मंदिर में शिव विवाहोत्सव श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव होगा, जहां भक्तजन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव की अलौकिक अनुभूति करेंगे।

12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां महाशिवरात्रि उत्सव नौ दिनों तक शिवनवरात्र के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान प्रतिदिन विशेष अभिषेक और पूजन का अनुक्रम रहता है, जिससे भगवान महाकाल की नियमित भोग आरती और संध्या पूजन के समय में भी बदलाव किया जाता है। भक्तों के लिए यह नौ दिवसीय महोत्सव एक दिव्य और अलौकिक अनुभव होता है, जहां वे भगवान शिव की विभिन्न स्वरूपों में पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से त्रयोदशी तक नौ दिवसीय शिवनवरात्र उत्सव मनाया जाता है। ये नौ दिन शिव उपासना के लिए अत्यंत विशेष माने जाते हैं, जब भक्तगण भगवान महाकाल की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस वर्ष शिवनवरात्र की शुरुआत 17 फरवरी को शिव पंचमी के पूजन से होगी, जिसके साथ मंदिर में विशेष अनुष्ठान, अभिषेक और धार्मिक अनुवाद संपन्न किए जाएंगे।

सुबह 8 बजे पुजारी कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित भगवान श्री कोटेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन कर उन्हें हल्दी अर्पित करेंगे। लगभग एक घंटे तक विशेष पूजा-अर्चना संपन्न होने के बाद, सुबह 9:30 बजे से महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भगवान महाकाल की विधिवत पूजा की जाएगी। इस अनुष्ठान के दौरान भक्तों की भारी उपस्थिति रहेगी, जो श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना की शुरुआत करेंगे, जिसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ किया जाएगा। विशिष्ट पूजन का यह क्रम दोपहर 1 बजे तक चलेगा, जिसके पश्चात भगवान को भोग अर्पित कर भोग आरती की जाएगी। दोपहर 3 बजे संध्या पूजन संपन्न होगा, जिसमें भक्तगण श्रद्धा भाव से भाग लेंगे। यह दिव्य पूजा-अर्चना और अनुष्ठान महाशिवरात्रि तक लगातार नौ दिनों तक चलते रहेंगे, जिससे संपूर्ण मंदिर परिसर भक्तिमय वातावरण में डूबा रहेगा।

महाशिवरात्रि उत्सव के दौरान नौ दिनों तक भगवान महाकाल का भव्य शृंगार विभिन्न दिव्य स्वरूपों में किया जाएगा। पहले दिन चंदन शृंगार में भगवान का विग्रह चंदन से अलंकृत किया जाएगा। दूसरे दिन शेषनाग शृंगार में भगवान महाकाल नागराज शेषनाग के साथ विराजित होंगे। तीसरे दिन घटाटोप शृंगार में विशेष श्रृंगार होगा, जिसमें भगवान का तेजस्वी स्वरूप प्रकट होगा। चौथे दिन छबीना शृंगार होगा, जिसमें अलौकिक आभा के साथ भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।

पांचवें दिन होलकर शृंगार में भगवान का श्रृंगार होलकर वंश की परंपरा के अनुरूप होगा। छठे दिन मनहेश शृंगार के अंतर्गत भगवान का दिव्य और अलौकिक स्वरूप भक्तों को दर्शन देगा। सातवें दिन उमा महेश शृंगार में भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान होंगे। आठवें दिन शिवतांडव शृंगार होगा, जिसमें भगवान शिव के तांडव रूप का दर्शन मिलेगा। नवें और अंतिम दिन सप्तधान्य शृंगार किया जाएगा, जिसमें भगवान महाकाल को विभिन्न अन्नों से अलंकृत किया जाएगा। इस विशेष नौ दिवसीय श्रृंगार उत्सव में श्रद्धालु भगवान महाकाल के विभिन्न दिव्य रूपों के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।

मंदिर के पुजारी पंडित महेश ने बताया कि महाकाल मंदिर में प्रतिदिन सुबह 10 बजे भोग आरती और शाम 5 बजे संध्या पूजन किया जाता है, लेकिन शिवनवरात्र के नौ दिनों में अभिषेक और पूजन के विशेष अनुक्रम के कारण इन समयों में बदलाव किया जाएगा। इन नौ दिनों के दौरान भोग आरती दोपहर 1 बजे होगी, जबकि संध्या पूजन दोपहर 3 बजे संपन्न किया जाएगा। इसके बाद भगवान महाकाल का विशेष रूप से दिव्य शृंगार किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु प्रतिदिन भगवान के अलग-अलग अलंकरण के दर्शन कर सकेंगे।