महाकाल के आंगन में फिर से विराजित होंगे ‘शिव’ एक हज़ार साल पुराने मंदिर के निर्माण में हो रही लेट-लतीफी

उज्जैन की पवित्र धरती पर इतिहास एक बार फिर जीवंत होने जा रहा है। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में एक हजार साल पुराना शिव मंदिर फिर अपने भव्य रूप में आकार लेगा। सदियों से धरती के गर्भ में छिपे इस पवित्र मंदिर के पत्थर अब फिर से आसमान छूने को तैयार हैं।

डेढ़ साल बाद भी धीमी गति
पिछले डेढ़ साल से जिस मंदिर के पत्थरों की नाप-जोख और नंबरिंग की जा रही थी, अब उसके पुनर्निर्माण की राह साफ हो चुकी है। शुक्रवार को मध्य प्रदेश के पुरातत्व विभाग की टीम ने महाकाल परिसर का दौरा कर स्थल का निरीक्षण किया और घोषणा की कि निर्माण कार्य शीघ्र ही आरंभ होगा।

खुदाई के पत्थरों से ही बनेगा मंदिर
यह मंदिर सिर्फ पत्थरों का ढांचा नहीं होगा, बल्कि इतिहास, श्रद्धा और आस्था का जीवंत प्रतीक बनेगा। इसकी ऊंचाई लगभग 37 फीट होगी, और इसकी आत्मा में वही पत्थर जुड़ेंगे जो धरती से खुदाई में निकले हैं—वे पत्थर जिन्होंने हजारों वर्षों तक भगवान शिव की पूजा देखी है।

ऐतिहासिक पुनर्निर्माण पर खर्च होगें 75 लाख
प्रशासन ने इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू करने का आदेश दिया है, क्योंकि आगामी समय में सावन का महीना आने वाला है। जब लाखों के श्रद्धालु महाकाल की नगरी में जुटते हैं। इस ऐतिहासिक पुनर्निर्माण पर लगभग 65 से 75 लाख रुपये का खर्च अनुमानित है।

सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रयास
यदि कुछ खंभे या पत्थर अधूरे रह जाते हैं, तो उन्हें मालवा क्षेत्र से लाया जाएगा, जिससे मंदिर की सुंदरता और प्रामाणिकता बनी रहे। यह सिर्फ एक निर्माण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक झलक होगी—जहाँ इतिहास, धर्म और भावनाएं एक साथ आकार लेंगी।