Shivraj government के ड्रीम प्रोजेक्ट चंबल एक्सप्रेस को लगा पलीता

रामानंद तिवारी, भोपाल

राजनीतिक वरदहस्त के चलते अब शिवराज सरकार ( Shivraj government ) का ड्रीम प्रोजेक्ट चंबल एक्सप्रेस का इम्पलीमेंट नहीं हो सकेगा। पूर्व में राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को प्रगति पथ एवं अटल प्रगति पथ के नाम से हाई लाइट किया था। सरकार की मंशा थी कि उक्त प्रोजेक्ट के माध्यम से बीहड़ो में भी उघोग स्थापित किए जाए। लेेकिन अब डॅा. मोहन सरकार चंबल के बीहड़ों में खेती करवाएगी।

क्या थी Shivraj government की योजना

शिवराज सरकार ( Shivraj government ) की मंशा थी बीहड़ों में उघोगों को स्थापित कर वहां के रहवाशियों के लिए रोजगार मुहैया करवाए जा सके। चंबल एक्सप्रेस चूंकि दिल्ली से नजदीक होने की वजह से उघोग धंधों के प्रोग्रेस की संभावना ज्यादा थी। व्यवस्थित कॉरिडोर बनता तो वहां पर मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट एवं अन्य उघोग धंधों की स्थापना के साथ ही चंबल क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी खुलना सुनिष्चित थे।

उद्योगपतियों ने की थी घोषणा

शिवराज सरकार के कार्यकाल में इंदौर में हुई इन्वेस्टर्स मीट में सहारा श्री सहित अन्य उघोगपतियों ने बीहड़ों में उघोग स्थापित किए जाने की घोषणा मंच से की थी।

किसानों के विस्थापन से पहले लगा ग्रहण

राजनीतिक वरदहस्त के चलते मुख्यमंत्री ने लंबे समय बाद राजनीतिक विरोध-अवरोध के चलते मुरैना में एक कार्यक्रम में पहुंचकर यह घोषणा की कि अब किसी को यहां से विस्थापित नहीं किया जाएगा। क्यों कि चंबल एक्सप्रेस एवं अटल प्रगति पथ के लिए रहवाशियों का विस्थापन किया जाना था। उक्त योजना के इम्पलीमेंट से पूर्व ही किसानों में हडकंप मच गया और शिवराज की एक महती योजना स्वत: राजनीति का शिकार हो गई।

चंबल प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद पहुंचा ठंडे बस्ते में

चंबल प्रोजेक्ट ड्राफट तैयार किया गया,लेकिन उक्त योजना का श्री गणेश होने से पूर्व ही ग्रहण लग गया। डूब क्षेत्र से 1.2 किलोमीटर दूर बनना था, चूंकि सरकारी भूमि कम होने की वजह से मामला ठंडे बस्तेे में चला गया। सूत्रों के अनुसार उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी भी बनी थी उक्त कमेटी के एक मेंबर ने कहा था कि चंबल के पास आने वाले समय में बढा़ पर्यटन स्थल बनने की संभावना है। उक्त प्रोजेक्ट को 1 किलोमीटर नहीं बल्कि 2 किलोमीटर दूर बनाने पर जब विचार किया गया तो सामने आया कि बीहड़ का एरिया 700 से 800 मीटर था। उसके बाद फिर आबादी की बसाहत थी। कही धर,पंचायत एवं गांव बसे हुए थे। ऐसी स्थिति उक्त योजना गति नहीं पकड़ सकी।

विलंब होने से व्यय बढ़ा सरकार ने किए हाथ खड़े

सूत्रों के अनुसार चूंकि प्रोजेक्ट अधर में अटकने के बाद जब उक्त योजना पर मंथन किया गया तब क्लियर हुआ कि इसमें बहुत ज्यादा विस्थापन हो रहा है। पूर्व में उक्त कार्य में 225 किलोमीटर पर 300 करोड़ का खर्च आ रहा था और सडक़ निर्माण किए जाने में 8 हजार करोड़ का प्रावधान था। लंबा समय बीत जाने के बाद शिवराज सरकार के उक्त चंबल एक्सप्रेस पर अब विस्थापन में 300 करोड़ के खर्च के बजाय 900 से 1हजार करोड़ का खर्च बढ़ गया है। हालांकि सरकार बढ़ी हुई राशि का प्रबंध भी कर सकती थी। लेकिन राजनीतिक वरदहस्त के चलते सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए। मध्य प्रदेश के चंबल इलाके के बीहड़ की पहचान डकैतों के बसेरे के तौर पर रही है। अब डॅा. मोहन यादव की सरकार यहां की तस्वीर बदलने की तैयारी में है और बीहड़ में खेती हो, इसके प्रयास तेज हो गए हैं।

हॉर्टिकल्चर कॉलेज बनेगा चंबल में

डकैत समस्या खत्म होने के बाद बीहड़ के बेहतर उपयोग कैसे हो, इसलिए यहां झांसी के कृषि विश्वविद्यालय से संबंधित हॉर्टिकल्चर के एक महाविद्यालय की स्थापना का फैसला सरकार द्वारा लिया गया है। चंबल का बीहड़ पहले डाकुओं के नाम से विख्यात था। अब वहां डाकू नहीं रहे, मगर जमीन का सदुपयोग हो, इसके लिए जरूरी है कि सिंचाई व्यवस्था हो। इसके लिए नदी जोड़ो योजना से सिंचाई के इंतजाम किए जा रहे हैं।

इनका कहना

चंबल के बीहड़ में इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर बन रहा हैं। जल्द ही वहां पर इंडस्ट्रीस कॉरिडोर भी स्थापित होगा।
-कैलाश विजयवर्गीय मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री