इंदौर में गुरुवार को एक ऐसी राजनीतिक तस्वीर बनी जिसने न केवल बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों को बल्कि सियासी गलियारों को भी नई चर्चाओं का मसाला दे दिया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एक कमरे में पूरे 18 मिनट तक अकेले चर्चा करते रहे, वहीं केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर दरवाज़े के बाहर खड़ी होकर इंतज़ार करती रहीं।
बात यहीं नहीं थमी—वहां मौजूद अधिकारियों ने जब ठाकुर जी के इंतज़ार की जानकारी अंदर दी तो शिवराज जी का जवाब आया – “पाँच मिनट और रुकने को कहो…”. अब सवाल ये है कि आख़िर अंदर चल क्या रहा था? क्यों सावित्री ठाकुर जैसी सीनियर नेता को बाहर बैठाया गया?
इस बंद कमरे में दो बड़े नेताओं के बीच क्या ‘राज’ साझा हुआ, ये अब तक पर्दे में है। अंदर चर्चा ‘सोयाबीन’ की थी या संगठन की—कोई नहीं जानता। लेकिन जब बाहर निकलते वक्त मीडिया ने कैलाश विजयवर्गीय से सवाल किया, तो उन्होंने जवाब दिया – “सामान्य मुलाकात थी…”
अब ये “सामान्य” कितना असामान्य था, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि बैठक के दौरान विधायक मधु वर्मा, मनोज पटेल और बीजेपी नेता सावन सोनकर तक पास के कमरे में बैठाए गए, लेकिन मंत्री ठाकुर को दरवाज़े के बाहर।
राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है… और यहाँ प्रतीक चुपचाप बहुत कुछ बोल गए। सवाल उठता है – क्या इंदौर में कोई ‘नई प्लानिंग’ हुई? या पुरानी गांठों को सुलझाया गया? राज तो भविष्य बताएगा, लेकिन सियासी गलियारों में ये 18 मिनट लंबे समय तक गूंजते रहेंगे।