मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मोहन यादव को प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपा दिया है। तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शिवराज सिंह चौहान, डॉक्टर रमन सिंह और वसुंधरा राजे जैसे कद्दावर नेताओं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों पर दांव लगाया है। पार्टी के इस फैसले के साथ ही सोमवार देर शाम पिछले 18 सालों से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की इस पद से विदाई हो गई।
अटकलों का बाजार गर्म
इन दोनों को विधानसभा स्पीकर की पोस्ट तो मिली नहीं, ऐसे में इन्हें सरकार में एडजस्ट किया जाएगा या केंद्रीय राजनीति में बड़ा रोल दिया जाएगा, इसे लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है। साल 2018 के चुनाव में जब बीजेपी को हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों में शिकस्त के बाद सत्ता से बाहर होना पड़ा था, तब पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान, डॉक्टर रमन सिंह और वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष बना दिया था। वसुंधरा राजे अभी भी इस पद पर बनी हुई हैं। माना जा रहा है कि वसुंधरा को फिलहाल लोकसभा चुनाव तक राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष बनाए रखा जा सकता है लेकिन कयास शिवराज को लेकर लगाए जा रहे हैं।
शिवराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं थी ये बातें
शिवराज के इस्तीफे के अगले दिन आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जब उनसे दिल्ली जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “एक बात मैं बहुत ही विनम्रता से कहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर, मैं मरना समझूंगा. वो मेरा काम नहीं है।” शिवराज सिंह चौहान का बतौर मुख्यमंत्री 18 साल का रहा। इस दौरान उन्होंने अपने आपको एक जननेता के तौर पर स्थापित भी कर लिया। शिवराज सिंह चौहान के द्वारा जो स्कीम शुरू की गई थी, साख तौर पर महिलाओं पर जो स्कीम थी उसने इस चुनाव में एक गेम चेंजर का रोल जरूर निभाया है। यही कारण है कि अब उनकी क्या जिम्मेदारी होगी, उनको कौन सा पद दिया जाएगा, वह राज्य की राजनीति में रहेंगे या केंद्र की राजनीति में चले जाएंगे इसको लेकर कई अटकलें लगाई जा रही है।