महाकाल की नगरी उज्जैन का ये पुराना नाम सुनकर आप भी चौंक जाएंगे, इतिहास का सबसे बड़ा राज!

भारत की धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी उज्जैन को आज हम सब महाकाल की नगरी के नाम से जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शहर का नाम पहले अवन्ति था? उज्जैन का इतिहास हजारों साल पुराना है और यह नगरी ना केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भारत की प्राचीन राजधानी भी रही है.

उज्जैन का पुराना नाम

प्राचीन काल में उज्जैन को अवन्ति के नाम से जाना जाता था. अवन्ति भारत के 16 महाजनपदों में से एक था. यह एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य था, जिसकी राजधानी उज्जैन थी. कहा जाता है कि यहां से कई बड़े-बड़े शासकों ने शासन किया और यह शहर विद्या, धर्म और संस्कृति का केंद्र बन गया. अवन्ति की राजधानी उज्जैन इतनी विकसित थी कि इसे भारत के सबसे प्रमुख शहरों में गिना जाता था.

महाकाल का आशीर्वाद

उज्जैन को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के कारण विशेष महत्व प्राप्त है. यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यही कारण है कि इसे महाकाल की नगरी कहा जाता है. मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे और राक्षसों का नाश किया था। तभी से यह जगह शिवभक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन गई है.

कालगणना की नगरी

उज्जैन को समय की नगरी भी कहा जाता है. यहां से ही भारतीय पंचांग की गणना होती थी. विक्रम संवत, जो भारत का पारंपरिक कैलेंडर है, उसकी शुरुआत भी यहीं से मानी जाती है. सम्राट विक्रमादित्य ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया और वहीं से विक्रम संवत शुरू किया.

क्यों खास है उज्जैन आज भी?

आज भी उज्जैन अपनी धार्मिक, ऐतिहासिक और ज्योतिषीय महत्ता के कारण लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. हर 12 साल में यहां सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है, जिसमें देश-दुनिया से करोड़ों लोग स्नान और दर्शन के लिए आते हैं.