सोशल मीडिया पर इन दिनों राष्ट्रगान को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसकी शुरुआत गायिका श्रेया घोषाल के एक वीडियो से हुई, जिसमें वे राष्ट्रगान जन गण मन गाते हुए दिखाई दीं। यह वीडियो एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वायरल हो गया।
वीडियो को साझा करते हुए एक यूजर ने लिखा कि श्रेया की आवाज़ में राष्ट्रगान सुनकर ऐसा महसूस हुआ जैसे इसे नया जीवन मिल गया हो। हालांकि, विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ लोगों ने उनके गायन के समय को लेकर सवाल उठाए।
विवाद क्यों हुआ?
वीडियो में श्रेया घोषाल ने राष्ट्रगान को 1 मिनट 7 सेकंड में पूरा किया। इस पर एक्स यूजर भाविका कपूर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान के लिए सरकार द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल मौजूद है। नियमों के अनुसार, इसका पूरा संस्करण 52 सेकंड में समाप्त होना चाहिए। गायन को धीमा या तेज़ करना, दोनों ही स्थितियाँ प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानी जाती हैं और इसे अनादर की श्रेणी में रखा जा सकता है।
The National Anthem of India is governed by a strict protocol — the full version must conclude within 52 seconds. Any attempt to slow it down for the sake of showcasing singing ability is inappropriate and against the prescribed guidelines.
Both slowing down and speeding up are… https://t.co/wtSrEbR0r7
— Bhavika Kapoor (@BhavikaKapoor5) October 1, 2025
गृह मंत्रालय की गाइडलाइन क्या कहती है?
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राष्ट्रगान को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- राष्ट्रगान का पूरा संस्करण 52 सेकंड का है।
- इसके अलावा, एक 20 सेकंड का छोटा संस्करण भी है, जिसे कुछ विशेष अवसरों पर गाने की अनुमति है।
- गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि अगर किसी कारणवश समय थोड़ा ज्यादा हो जाए, तो उसके लिए किसी दंड का उल्लेख नहीं है।
कब गाया जाता है 52 सेकंड वाला वर्जन?
पूरा राष्ट्रगान आमतौर पर औपचारिक और राजकीय आयोजनों में गाया जाता है। जैसे—
- सिविल और सैन्य सम्मान समारोह
- परेड और सलामी शस्त्र
- राष्ट्रपति या राज्यपाल के औपचारिक आगमन पर
- आकाशवाणी पर राष्ट्रपति के संदेश से पहले और बाद में
- राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने या नौसेना में ध्वजारोहण के समय
20 सेकंड वाले वर्जन का इस्तेमाल कब होता है?
- कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान की सिर्फ शुरुआती और अंतिम पंक्तियाँ गाई जाती हैं। इसे ही छोटा वर्जन कहा जाता है।
- यह संस्करण आमतौर पर 20 सेकंड में समाप्त होता है।
- इसे खास मौकों पर, जैसे किसी समारोह में सम्मान व्यक्त करने या मेस में विशेष परिस्थितियों में बजाया जाता है।
खड़े होकर सुनना अनिवार्य है या नहीं?
गाइडलाइन यह भी कहती है कि राष्ट्रगान के दौरान लोगों को सावधान की मुद्रा में खड़ा होना चाहिए। हालांकि, यदि राष्ट्रगान किसी फिल्म का हिस्सा बनकर सिनेमा हॉल में बजता है, तो दर्शकों के खड़े होने की अनिवार्यता नहीं है, क्योंकि इससे फिल्म का प्रवाह बाधित हो सकता है।