भारतीय वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी। उन्होंने अंतरिक्ष से अपना पहला संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने अपनी यात्रा पर उत्साह व्यक्त किया और माइक्रोग्रैविटी के अनुभव को साझा किया। शुक्ला एक्स-4 मिशन पर चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं।
अंतरिक्ष से भेजा पहला संदेश
भारतीय वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री बने 39 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए एक्सिओम-4 मिशन पर उड़ान भरी। उड़ान भरने के कुछ घंटों बाद उन्होंने अंतरिक्ष से अपना पहला संदेश जारी किया है। अंतरिक्ष से मैसेज जारी करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा- ”सभी को अंतरिक्ष से नमस्कार। मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर रोमांचित हूं। वाह, यह कैसी यात्रा थी। जब मैं लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं।”
माइक्रोग्रैविटी का अनुभव बताया
अंतरिक्ष यान पर अपने पहले घंटों में शुक्ला ने माइक्रोग्रैविटी के अनुभव पर टिप्पणी की। फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट के ऊपर प्रक्षेपित क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान के अंदर बैठे शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष अनुभव को साझा किया। इस उड़ान के साथ ही शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बन गए और 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बन गए। अंतरिक्ष में जाने वाले अंतिम भारतीय, विंग कमांडर राकेश शर्मा, अप्रैल 1984 में एक संयुक्त भारत-सोवियत मिशन के हिस्से के रूप में उड़ान भर चुके थे।
मौसम के कारण हुआ था लेट
इस मिशन को मूल रूप से 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन मौसम संबंधी बाधाओं और फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल के साथ तकनीकी समस्याओं के कारण कई बार इसे स्थगित करना पड़ा। नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम की टीमों ने सफल प्रक्षेपण से पहले विसंगतियों को दूर करने में लगभग एक महीना लगाया और पुरी तकनीकी को पुरी तरह से परीक्षण करके मिशन को शुरू किया।