सिक्किम का सबसे ऊंचा गणेश मंदिर, जहां न ही फूल चढ़ते है और न ही धूप-अगरबत्ती लगती है

Ganesh Utsav Special : पहाड़ी राज्यों में गणेशोत्सव भले ही बड़े स्तर पर ना मनाया जाता हो, लेकिन सिक्किम में एक मंदिर ऐसा है, जहाँ ये पर्व बेहद खास तरीके से मनाया जाता है। राजधानी गंगटोक से करीब 7 किलोमीटर दूर, 6,500 फीट की ऊँचाई पर बना है गणेश टोक मंदिर देश के सबसे ऊँचाई पर स्थित गणेश मंदिरों में से एक।

72 साल से ये पवित्र मंदिर सिक्किम की आस्था का अटूट केंद्र है। मंदिर तक पहुँचने के लिए करीब 160 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, लेकिन हैरानी की बात यह कि कहीं भी गंदगी का नामोनिशान नहीं। यही सिक्किमवासियों की खासियत है कि स्वच्छता को जीवन का हिस्सा बना लेना। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ श्रद्धालु गणेश प्रतिमा पर ना तो फूल चढ़ा सकते हैं और न ही धूप-अगरबत्ती दिखा सकते हैं। इसलिए सफेद संगमरमर की मूर्ति हमेशा चमकती रहती है।

इसके साथ ही जहा अधिकांश गणेश मंदिरों में भगवान गणपति अपने वाहन—चूहे के साथ दिखाई देते हैं, लेकिन यहाँ भगवान सिंहासन पर विराजमान हैं। मान्यता है कि यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है, और शायद यही कारण है कि 12 महीने यहाँ भक्तों और पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।

गणेश चतुर्थी पर पहले यहां सिर्फ 3 दिन पूजा होती थी, लेकिन अब 10 दिनी उत्सव मनाया जाता है। अंतिम दिन हवन होता है और भगवान को छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया जाता है। स्थानीय लोग इस दौरान पारंपरिक नृत्य और भजन के जरिए भगवान का आह्वान करते हैं। मंदिर की नींव 1952-53 में सिक्किम के पॉलिटिकल ऑफिसर अप्पा बी. पंत ने रखी थी। उस समय यहाँ राजशाही थी।

1975 में भारत में विलय के बाद इस मंदिर की प्रसिद्धि तेजी से बढ़ी। आज भी सिक्किम का राजपरिवार और आम श्रद्धालु प्रतिदिन यहाँ पूजन के लिए आते हैं। कहा जाता है, एक सदी पहले यहाँ केवल एक शिला की पूजा होती थी। लेकिन आज गणेश टोक ना सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि गंगटोक आने वाले हर यात्री के लिए एक अद्भुत अनुभव भी है।”