Panna News : मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से प्रशासनिक लापरवाही और एक बुजुर्ग के संघर्ष की हैरान करने वाली कहानी सामने आई है। यहां एक 80 वर्षीय बुजुर्ग को सरकारी दस्तावेजों में 14 साल पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था।
कागजों में ‘मुर्दा’ करार दिए गए भूरा आदिवासी पिछले 11 साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे।
आखिरकार, प्रभारी मंत्री के सामने अपनी व्यथा सुनाने के बाद प्रशासन हरकत में आया। जांच के बाद न केवल उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में फिर से ‘जीवित’ दर्ज किया गया, बल्कि उनकी बेची गई जमीन भी वापस दिलाई गई।
मंत्री के पैरों में गिर पड़ा बुजुर्ग
यह मामला पन्ना जिला मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जनवार का है। पीड़ित भूरा आदिवासी पिछले एक दशक से कलेक्टर से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा रहे थे, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। हाल ही में पन्ना जिले के प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार एक कार्यक्रम में शामिल होने जनवार पहुंचे थे।
मौका पाकर 80 वर्षीय भूरा मंत्री के चरणों में गिर पड़े और रोते हुए कहा, “साहब, मैं जिंदा हूं!” बुजुर्ग की यह हालत देखकर मंत्री ने तत्काल अधिकारियों को निर्देश दिए। मंत्री के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में मामले की जांच शुरू की गई।
रोजगार की तलाश में गए थे बाहर, पीछे से घोषित कर दिया ‘मृत’
जांच में पता चला कि गांव के कुछ दबंगों से परेशान होकर भूरा आदिवासी रोजी-रोटी की तलाश में कटनी चले गए थे। उनके लंबे समय तक गांव में न होने का फायदा उठाकर पटवारी और तहसील स्तर पर मिलीभगत से उन्हें मृत (फौती) घोषित कर दिया गया।
रिकॉर्ड के मुताबिक, 23 दिसंबर 2011 को उनकी 2.19 हेक्टेयर जमीन उनके बेटों (रूपलाल और रामेश्वर) के नाम हस्तांतरित कर दी गई। इसके बाद जमीन का एक हिस्सा बेच भी दिया गया। जब भूरा वापस गांव लौटे, तो उन्हें पता चला कि सरकारी दस्तावेजों में उनकी मौत हो चुकी है और उनकी जमीन भी हाथ से निकल गई है।
11 साल बाद मिला न्याय, जमीन की रजिस्ट्री रद्द
प्रशासनिक जांच में बुजुर्ग के जीवित होने की पुष्टि होने के बाद 15 दिसंबर 2025 को रिकॉर्ड में सुधार किया गया। प्रशासन ने अपनी गलती सुधारते हुए भूरा को सरकारी कागजों में दोबारा जीवित दर्ज किया। एसडीएम संजय कुमार नागवंशी खुद टीम के साथ मौके पर पहुंचे और बुजुर्ग को उनकी जमीन का कब्जा वापस दिलाने की कार्यवाही की।
“जांच में पाया गया कि भूरा आदिवासी जीवित हैं, इसलिए उनकी जमीन लौटाने का आदेश दिया गया है। जो जमीन बिक चुकी थी, उसकी रजिस्ट्री भी शून्य कर दी गई है। भविष्य में भी ऐसे मामले सामने आएंगे तो आदिवासियों के हितों की रक्षा करते हुए प्रशासन तत्परता से काम करेगा।” — संजय कुमार नागवंशी, एसडीएम