सामाजिक अस्पृश्यता अभिषाप, किसी प्रकार का भेद नहीं,अब हिंदू एक समाज

शास्त्र व भाषा को तोड़ मरोड़कर समाज में किया जा रहा पेश, इसके पीछे हमे तोड़ने की है साजिश।

सुरेश शर्मा/ब्यावरा राजगढ़- हिंदू एक समाज है, यह सभी जातियों से मिलकर बना है, इसे तोड़ने के लिए कुछ ताकतें लगी है। यह कारण है कि शास्त्र व भाषा को ताेड़ मरोड़कर पेश किया जाने लगा। ताकि हम आपस में टकराते रहे और वह उनके मंसूबे पर कामयाब हो सके। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हम सभी को मिलकर इसे मिटाना होगा। कुछ विदेश ताकतें इसके पीछे आज भी काम कर रही और पहले भी कर रही थी। अगर ऐसा नहीं होता तो संत रविदास को मीराबाई गुरू नहीं मानती। यह बात संत रविदास जयंती पर आयोजित सामाजिक समरसता कार्यक्रम के दौरान मुख्यवक्ता मोहन गिरी ने कही है।
कार्यक्रम दोपहर तीन बजे होटल संस्कृति में भारतमाता व संत रविदास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित के साथ शुरू किया गया। सामाजिक समरता मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ रघुनाथानंद अवधूत महाराज ने कहा कि।

मुख्य वक्ता श्री गिरी ने कहा कि हमारे बीच खाई पैदा करने के लिए लोग तरह-तरह के षड़यंत्र रच रहे, हम सभी को इनके मिलकर मुकाबला करना होगा। इसके लिए हम सभी एक होंगे और एक मंदिर, एक कुआ, एक श्मशान की भावना के साथ काम करना होगा। इसके लिए कोई जाति की आड़ नहीं हो। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ऐसा माध्यम है जहां सभी जाति समान है। जब 1940 में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर वरदा के वर्ग में पहुंचे तो उन्होने ने भी यहां जातिगत भेद नहीं होने की बात अपनी अंबेडकर राइटिंग स्पीचेस में कही है। श्री गिरी ने कहा कि डॉ अंबेडकर आत्मीय साथी रहे दत्तोपन हेंगड़ी ने अपनी किताब डॉ अंबेडकर व सामाजिक क्रांति में भी विस्तृत विवरण के साथ लिखा है।