वर्ष 2025 की समाप्ति के बाद अब सबकी निगाहें नए साल 2026 पर टिकी हैं। खगोलीय घटनाओं और ज्योतिष शास्त्र में रुचि रखने वालों के लिए आने वाला साल काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। वर्ष 2026 में कुल तीन ग्रहण लगने का योग बन रहा है। इनमें दो सूर्य ग्रहण और एक चंद्र ग्रहण शामिल होगा। धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टियों से ग्रहण की घटनाओं का विशेष महत्व माना जाता है।
ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार, नए साल में ग्रहणों की शुरुआत फरवरी महीने से होगी। हालांकि, भारत में रहने वाले लोगों के लिए राहत की बात यह है कि इन तीन ग्रहणों में से केवल एक ही ग्रहण देश में दिखाई देगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस क्षेत्र में ग्रहण दृश्यमान होता है, वहीं उसका सूतक काल और धार्मिक नियम लागू होते हैं।
पहला ग्रहण: आंशिक सूर्य ग्रहण (17 फरवरी 2026)
वर्ष 2026 का पहला ग्रहण 17 फरवरी को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण शाम 05:50 बजे शुरू होकर रात 09:42 बजे समाप्त होगा। यह ग्रहण अंटार्कटिका के साथ-साथ दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह ग्रहण भारत के कुछ हिस्सों में आंशिक रूप से दिखाई दे सकता है, लेकिन इसकी दृश्यता बहुत सीमित होगी। इसलिए, धार्मिक दृष्टि से इसका सूतक काल भारत में पूरी तरह प्रभावी नहीं माना जाएगा। हालांकि, जिन स्थानों पर यह स्पष्ट दिखाई देगा, वहां सूतक के नियम लागू हो सकते हैं।
दूसरा ग्रहण: वलयाकार सूर्य ग्रहण (12 अगस्त 2026)
साल का दूसरा ग्रहण भी सूर्य ग्रहण ही होगा, जो 12 अगस्त 2026 को घटित होगा। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण (वलयाकार) होगा। इसका समय रात 09:33 बजे से शुरू होकर देर रात 01:21 बजे तक रहेगा। यह खगोलीय घटना ग्रीनलैंड, आइसलैंड, रूस और पुर्तगाल जैसे देशों में देखी जा सकेगी।
चूंकि यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात में लगेगा, इसलिए यह भारत में बिल्कुल भी दिखाई नहीं देगा। शास्त्रों के अनुसार, जो ग्रहण दृश्यमान नहीं होता, उसका कोई भी धार्मिक प्रभाव या सूतक काल मान्य नहीं होता है। अतः इस दिन भारत में पूजा-पाठ और दिनचर्या सामान्य रहेगी।
तीसरा ग्रहण: आंशिक चंद्र ग्रहण (28 अगस्त 2026)
वर्ष 2026 का तीसरा और अंतिम ग्रहण एक चंद्र ग्रहण होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण 28 अगस्त को लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 08:43 बजे शुरू होगा और दोपहर 01:02 बजे समाप्त होगा। यह ग्रहण भारत के साथ-साथ एशिया के कई अन्य देशों, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
चूंकि यह ग्रहण भारत में दृश्यमान होगा, इसलिए इसका धार्मिक महत्व सबसे अधिक रहेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले ही लग जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और शुभ कार्यों की मनाही होगी। गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
ग्रहण और सूतक काल के नियम
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले शुरू होता है। इस दौरान भोजन पकाना और खाना वर्जित माना जाता है। हालांकि, बच्चों, बीमार व्यक्तियों और वृद्धों के लिए नियमों में थोड़ी छूट दी जाती है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। फिर भी, भारतीय संस्कृति में इसका गहरा प्रभाव देखा जाता है और लोग संयम और नियम के साथ इस अवधि को व्यतीत करते हैं।