कितनों ने तो लुटाकर भी शिकायत नहीं की बेचारे लाचार…कार के दोनों तरफ से शीशे ठोंकते थे दो बाइक पर चार

प्रखर – वाणी

बमुश्किल पकड़ में आई लुटेरी शहरी ठक ठक गैंग के डाकू…चौराहों पर वाहन रोककर निर्दोषों को भी दिखाते चाकू…ये सिलसिला वर्षों से जारी था मगर हम मजबूर थे…बदमाश हरकत करके भी पकड़ में नही आते क्योंकि चतुर थे…कितनों ने तो लुटाकर भी शिकायत नहीं की बेचारे लाचार…कार के दोनों तरफ से शीशे ठोंकते थे दो बाइक पर चार…इनके आधा दर्जन साथी भी इनकी निगरानी करते…

ज्यादा बहस बाजी होती तो वे भी पीड़ित को धरते…लूटा – पीटा निर्दोष जब तक थाने जाता…तब तक तो स्पॉट से हर सबूत नष्ट हो जाता…टारगेट करके ये लुटेरे बदल बदल कर चौराहे पकड़ते…जो चढ़ता हत्थे उसको बेख़ौफ अपने चंगुल में जकड़ते…कभी आपकी गाड़ी में से आयल टपक रहा , कभी आपने पीछे एक्सीडेंट कर दिया….ऐसे अनूठे तरीके इजाद कर वाहन चालकों को चालाकी से खाली कर दिया…पुलिस भी चिंतित रही होगी आखिर पकड़ें तो पकड़ें कैसे…चोर चोर मौसेरे भाई लगते एक जैसे…सीसीटीवी खँगालो फिर गैंग को तलाशो तब तक रफूचक्कर हो जाते हैं…इस तरह के लुटेरे बड़ी मुश्किल से ही हत्थे चढ़ पाते हैं…

अब पकड़ में आ गए हैं तो कहीं जल्दी छूट न जाये…फिर कुछ दिन के बाद अगले चौराहे पर किसी को लूट न जाये…इसलिये इन पर सख्त से सख्त कार्यवाही जरूरी है…अभी भी पूरी गैंग के अनेक गुर्गों से सलाखों की दूरी है…इन पर कायमी व जमानत जैसी लचीली प्रक्रिया न हो…टांडा के लुटेरे जैसे चालान पेश होने की ढिलाई भरी क्रिया न हो…धाराओं के मकड़जाल में से निकालकर ऐसी मजबूत धारा आधार बने…

सजा ऐसी मिले की व्यवस्था लचर नहीं मुजरिम लाचार बनें…ताकि अगली बार कोई भी ऐसा गुनाह करने के पहले कांप उठे…जालसाजी की हरकत पर सजा ए मौत न हो जाये इस वेदना को भांप उठे…नीत नूतन तरीकों से लूट की इबारत लिखने वाले अब नहीं चलेंगे…ऐसी गैंग के अब कोई गुर्गे शहर की चौखट पर नहीं पलेंगे…