Somvati Amavasya 2024: वर्ष की आखिरी सोमवती अमावस्या आज, करें महादेव की पूजा, खुशियों से भर जाएगा जीवन

Somvati Amavasya 2024: पौष माह की अमावस्या 30 दिसंबर 2024 यानि आज पड़ रही है, और यह वर्ष की अंतिम अमावस्या होने के साथ-साथ सोमवती अमावस्या का भी विशेष योग बना रही है। सोमवती अमावस्या का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। सोमवती अमावस्या का यह संयोग 2024 के बाद अगले वर्ष 2025 में पूरे साल और 2026 में 19 मार्च तक नहीं आएगा। यह दुर्लभ घटना भक्तों के लिए इस अमावस्या को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाती है।

महत्व

• सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है।
• इस दिन तुलसी की पूजा और व्रत करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
• पितृ तर्पण और दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।

इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों के किनारे स्नान के साथ पितरों की शांति और सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टि से सोमवती अमावस्या अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 30 दिसंबर 2024 को धनु राशि में चंद्रमा के साथ यह विशेष योग बन रहा है, जिसे शास्त्रों में देव-पितृ कार्यों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन तीर्थ स्नान, पितरों का तर्पण, दान, और व्रत करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

महत्वपूर्ण ज्योतिषीय तथ्य

• सोमवती अमावस्या का महत्व: इस दिन जल में स्नान, तुलसी और पीपल के वृक्ष की पूजा करने से परिवार की समृद्धि और पितृ दोष की शांति होती है।
• इस अमावस्या के बाद संवत 2082 (19 मार्च 2026 तक) में सोमवार को अमावस्या का योग नहीं बनेगा।
• शनिश्चरी अमावस्या का अगला योग: 29 मार्च 2025 को शनिवार के दिन शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा, जिसे शनिदेव की कृपा प्राप्ति और पितृ कार्यों के लिए शुभ माना जाएगा।

इस दिन की शुभता को बढ़ाने के लिए निम्न कार्य करें

1. तीर्थ स्नान: पवित्र नदियों में स्नान करें या घर पर ही गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
2. दान-पुण्य: अन्न, वस्त्र, दक्षिणा और दीपदान करें।
3. पितृ तर्पण: पितरों की शांति और आशीर्वाद के लिए श्राद्ध करें।
4. व्रत: पूरे दिन व्रत रखें और शाम को जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

यह पर्व आत्मा की शुद्धि, परिवार की सुख-समृद्धि और पितृ दोष शांति के लिए विशेष माना जाता है।

सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व और फल

पंडित रामजीवन दुबे के अनुसार, सोमवती अमावस्या धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत फलकारी है। इस दिन किए गए दान-पुण्य, पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान का कई गुना फल प्राप्त होता है।

विशेष फलकारी कारण

1. अमावस्या दोष निवारण:
जिन जातकों की कुंडली में अमावस्या दोष हो, उन्हें इस दिन दर्श शांति का वैदिक अनुष्ठान करवाना चाहिए। इससे जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं और पितृ दोष शांति होती है।
2. पवित्र स्नान:
• गंगा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।
• स्नान से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
3. पितृ तर्पण:
• पितरों को तर्पण, श्राद्ध, और पिंडदान इस दिन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
• यह दिन पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने और वंश की उन्नति के लिए उपयुक्त है।
4. दान-पुण्य:
• वस्त्र, अन्न, और दक्षिणा का दान इस दिन किया जाए तो अनंत गुना फल प्राप्त होता है।
• जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराने का भी अत्यधिक महत्व है।

धार्मिक कार्य करने का तरीका

1. प्रातःकाल पवित्र नदियों में स्नान करें या स्नान के जल में गंगाजल मिलाएं।
2. पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
3. तुलसी, पीपल और शिवजी की पूजा करें।
4. ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्न दान करें।

धार्मिक मान्यता

इस दिन किए गए सभी कार्यों का सौभाग्य और मोक्ष प्रदान करने वाला प्रभाव होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलकारी है, जो पितृ दोष, आर्थिक बाधाओं, या पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।