मध्यप्रदेश की राजनीति इन दिनों लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि राज्य के मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल हो सकता है। मंत्रियों के विभागों में बदलाव से लेकर नए चेहरों की एंट्री तक की बातें सामने आ रही हैं। इन कयासों को और हवा तब मिली जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने लगातार दिल्ली दौरे किए। उनके इन दौरों को सीधे तौर पर संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है।
अमित शाह से मुलाकात ने बढ़ाई अटकलें
राजनीतिक चर्चाओं को बल देने वाली सबसे बड़ी वजह हाल ही में हुई कैलाश विजयवर्गीय की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात है। इस मुलाकात को लेकर यह कयास तेज हो गए कि शायद केंद्र और संगठन स्तर पर मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है। कहा जा रहा है कि वरिष्ठ मंत्री प्रह्लाद पटेल को भी नई भूमिका सौंपी जा सकती है। हालांकि, इन सभी अटकलों पर अभी तक आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं हुई है।
विजयवर्गीय का साफ जवाब
इन कयासों पर जब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से सवाल किया गया तो उन्होंने इसे पूरी तरह से मीडिया की बनाई हुई चर्चा करार दिया। विजयवर्गीय ने कहा – “ऐसा कुछ भी नहीं है, न तो इस पर कोई बातचीत हुई है और न ही संगठन की तरफ से इस तरह का कोई संकेत मिला है। यह सब आप लोगों द्वारा गढ़ी गई बातें हैं।” उनके इस बयान ने भले ही अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की हो, लेकिन राजनीतिक माहौल में हलचल अब भी कायम है।
क्यों चर्चा में आए विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल?
दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद जब मुख्यमंत्री पद को लेकर माथापच्ची चल रही थी, उस समय कई बड़े नामों पर विचार हुआ था। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल भी शामिल थे। इन नेताओं को पहले केंद्र की राजनीति से वापस प्रदेश की राजनीति में भेजा गया था। यही वजह थी कि उनके नाम चर्चा में आए। लेकिन अंततः केंद्र ने डॉ. मोहन यादव पर भरोसा जताते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। इसके बावजूद प्रदेश की राजनीति में लगातार उठापटक होती रही है।
दिल्ली दौरों से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
पिछले कुछ समय से मध्यप्रदेश के कई वरिष्ठ नेता दिल्ली के लगातार दौरे कर रहे हैं। चाहे वह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हों या कैलाश विजयवर्गीय, इन यात्राओं को सिर्फ संगठनात्मक बैठक के रूप में नहीं देखा जा रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इन दौरों का सीधा संबंध मंत्रिमंडल के विस्तार और संभावित बदलाव से है। यही वजह है कि राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक अटकलों का बाजार गर्म है।
पटेल की संभावित नई भूमिका
प्रह्लाद पटेल को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। माना जा रहा है कि उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन या केंद्र की राजनीति में कोई नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। भाजपा में इस तरह की रणनीति नई नहीं है। पहले भी कई दिग्गज नेताओं को प्रदेश से दिल्ली और दिल्ली से प्रदेश भेजकर राजनीतिक समीकरण साधे जाते रहे हैं। ऐसे में पटेल को लेकर चर्चाओं ने प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों में नई बहस छेड़ दी है।