भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कयासों का बाजार गर्म, मोदी के विदेश दौरे से लौटने का इंतजार

विश्व की सबसे बड़ी राजनीति पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अब एक नया दौर शुरू होने वाला है। लेकिन इससे पहले अब भाजपा पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में जुट गई है। अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसकों लेकर फिलहार तो कुछ तय नहीं हुआ है। लेकिन  9 जुलाई को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्रा से भारत लौटेंगे, पार्टी में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। इसके साथ ही भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने का बिगुल बज सकता है। भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इस सवाल पर अटकलों और कयासों का बाजार गर्म है, पूरे देश के कई राज्यों से पार्टी में दमखम दिखाने वाले अपने सर ताज करने का इंतजार कर रहे है तो वहीं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन हो सकता है यह भी अभी स्पष्ट रूप से सामने नहीं रखा गया है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए तैयार है मंच
पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने से पहले 37 संगठनात्मक राज्यों में से कम से कम 19 में चुनाव कराना ज़रूरी होता है। लेकिन भाजपा ने इस नियम को पार करते हुए 22 राज्यों में पहले ही अध्यक्षों की नियुक्ति कर ली है। इससे यह बात तो निश्चित है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए सतत कार्य में जुटी है।

संघ और पार्टी के बीच मंथन जारी

जेपी नड्डा के कार्यकाल को दो बार बढ़ावा जा चुका है। जेपी नड्डा ने 2020 में अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी इसके बाद तीन साल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव हो जाने थे लेकिन जे पी नड्डा के कार्यकाल को दो बार बढ़ाया जा चुका है। लेकिन अब भाजपा इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदल सकने का निश्चय कर चुकी है। इसमें बदलाव तय माना जा रहा है। इसको लेकर संघ और पार्टी नेतृत्व के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में धर्मेन्द्र प्रधान
भाजपा के शीर्ष पद के लिए इस वक्त दो नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में हैं एक केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान यह दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं, और पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग रणनीति में फिट बैठते हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो अनुभव और संगठनात्मक पकड़ के चलते धर्मेन्द्र प्रधान का नाम सबसे आगे चल रहा है।

बिहार-यूपी चुनाव में मिलेगा फायदा?
जातीय जनगणना और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा एक ओबीसी चेहरे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेल सकती है। यह दांव खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में उसे सामाजिक संतुलन और चुनावी धार दिला सकता है। “भूपेंद्र यादव और धर्मेन्द्र प्रधान की जोड़ी पहले भी कई राज्यों में संगठन को जीत दिला चुकी है। लेकिन अब जिम्मेदारी किसी एक को देनी है ऐसे में धमेन्द्र प्रधान को लेकर सहमति बनती दिख रही है। या भाजपा किसी पैराशुट राष्ट्रीय अध्यक्ष को उतारती है यह पीएम मोदी की विदेश यात्रा पुरी होने के बाद जल्द ही सामने आएंगा।