घर का निर्माण करते समय वास्तु शास्त्र का पालन करना बेहद आवश्यक माना जाता है, क्योंकि यह परिवार की समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा पर सीधा प्रभाव डालता है। घर में बनी सीढ़ियां भी ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करती हैं। यदि ये गलत दिशा में बन जाएं, तो परेशानियां, विवाद और धन की हानि जैसे दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।
कई लोग अनजाने में ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में सीढ़ी बना देते हैं, जिसे वास्तु के अनुसार बड़ा दोष माना गया है। आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए और इसके उपाय क्या हैं।
ईशान कोण में सीढ़ी बनने से क्यों बढ़ते हैं वास्तु दोष?
वास्तु शास्त्र में ईशान कोण को देवताओं और अत्यंत हल्की, सकारात्मक ऊर्जा का क्षेत्र कहा गया है। जबकि सीढ़ियां भारी संरचना होती हैं और ऊर्जा के मार्ग को रोक देती हैं। यही कारण है कि इस दिशा में सीढ़ियों का होना शुभ नहीं माना जाता। इससे घर में नकारात्मकता बढ़ सकती है और कई तरह की परेशानियां जन्म ले सकती हैं।
ईशान कोण में सीढ़ी होने से होने वाले नुकसान
1. आर्थिक अस्थिरता
इस दिशा में सीढ़ी बने होने से परिवार आर्थिक तंगी, कर्ज और धन हानि का सामना कर सकता है।
2. सेहत पर असर
दिल, दिमाग तथा किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही परिवार के सदस्यों की ऊर्जा भी कमजोर होती है।
3. मानसिक तनाव में वृद्धि
विशेष रूप से घर के मुखिया पर मानसिक दबाव बढ़ता है, जिससे निर्णय क्षमता प्रभावित हो सकती है।
4. करियर में बाधाएं
नौकरी या व्यवसाय में रुकावटें आती हैं, तरक्की धीमी हो जाती है और अवसर हाथ से निकल सकते हैं।
5. बच्चों की पढ़ाई पर असर
संतान की शिक्षा में अवरोध पैदा होते हैं और एकाग्रता कम हो सकती है।
6. सकारात्मक ऊर्जा का क्षय
सीढ़ियां दिव्य ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध करती हैं, जिससे पूरा घर प्रभावित होता है।
घर में सीढ़ियां बनवाने की सही दिशा कौनसी है?
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार सीढ़ियां बनाने के लिए दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) दिशा सबसे शुभ है। यह दिशा भारी संरचनाओं को सहन करने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
यदि यह दिशा उपलब्ध न हो, तो उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) को भी चुना जा सकता है।
ध्यान रखें कि सीढ़ियां उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार से सटी न हों और इन्हें कभी भी घर के केंद्र यानी ब्रह्मस्थान में नहीं बनाना चाहिए।
यदि ईशान कोण में पहले से सीढ़ी बनी हो तो क्या करें?
- दक्षिण-पश्चिम में भार बढ़ाएं : घर की छत पर दक्षिण-पश्चिम तरफ कमरा बनवाएं या टीनशेड लगाकर भारी सामान रखें। इससे ऊर्जा संतुलन सुधरता है।
- सीढ़ियों के अंतिम चरण पर दर्पण लगाएं : यह उपाय ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने में मदद करता है।
- दो तांबे के कछुए रखें : सीढ़ियों के नीचे कछुए आमने-सामने रखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- स्वच्छता का विशेष ध्यान : ईशान कोण हमेशा साफ-सुथरा और अव्यवस्थित रहित होना चाहिए।
- नमक मिले पानी से पोंछा करें : यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा कम करने में कारगर है।
- धूप और अगरबत्ती जलाएं : सीढ़ियों के नीचे नियमित धूप और सुगंधित धुआं ऊर्जा को पवित्र करता है।
- सीढ़ियों का रंग हल्का रखें : विशेष रूप से सफेद रंग सकारात्मकता बढ़ाता है।
- लाल स्वस्तिक बनाएं : सीढ़ियों के पास दो स्थानों पर स्वस्तिक बनाना शुभ माना जाता है।
- तुलसी का पौधा लगाएं : यदि सीढ़ियों के नीचे कोई अनुचित निर्माण हो, तो वहां तुलसी रखने से दोष कम होता है।