स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र में वर्ष 2016 के बाद से राप्रसे (State Administrative Cadre) के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिला है। इसके चलते करीब सवा लाख अधिकारी और कर्मचारी रिटायर भी हो चुके हैं, वहीं राज्य प्रशासनिक सेवा में पिछले 7 साल से काम का बोझ बढ़ा है। कैडर रिव्यू नहीं होने और तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर का प्रमोशन अटका होने की वजह से अधिकारियों को पदोन्नति का लाभ नहीं मिल रहा है।
State Administrative Cadre में नहीं मिल रही पदोन्नति
प्रदेश में राज्य प्रशासनिक ( State Administrative Cadre ) सेवा के कुल 874 पद हैं, इनमें से 200 से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता के मुताबिक, 7 साल में प्रदेश में 5 नए जिले बने हैं, इसके अलावा नई तहसील और राजस्व अनुभाग भी बनाए गए हैं। कई विभागों के कामकाज में भी बदलाव आए हैं, जिसके चलते राज्य प्रशासनिक सेवा में 80 से 100 नए पद बढ़ाए जाने की जरूरत है। मौजूदा स्थिति में अधिकारियों पर कई अतिरिक्त प्रभार हैं।
2018 से नहीं भरे गए पद
वर्ष 2013 और 2018 में कैडर रिव्यू हुआ था, 2013 में लगभग 78 पद और 2018 के कैडर रिव्यू में 99 पद बढ़ाए गए थे। गुप्ता का कहना है कि दूसरे राज्यों में 15 साल में नायब तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बन जाते हैं, लेकिन मप्र में 19 से 20 साल लग रहे हैं। डिप्टी कलेक्टर के 50 फीसदी पद प्रमोशन और 50 फीसदी डायरेक्ट भर्ती से लेने का प्रावधान है, लेकिन प्रमोशन के बजाए प्रभारी डिप्टी कलेक्टर बनाया जा रहा है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को जिला पंचायत सीईओ और जिलों में एडीएम के पद पर भी पोस्टिंग नहीं मिल पा रही है। इन पदों पर ज्यादातर आईएएस तैनात हैं या पद खाली होने से दूसरे अफसरों पर प्रभार है।
15 अफसरों को मिला वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान
राज्य शासन ने मंगलवार को राज्य प्रशासनिक सेवा के 15 अफसरों को पदोन्नत करते हुए वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए। जीएडी के आदेश के अनुसार, 1998 से लेकर 2008 बैच तक के अफसरों को इसका फायदा मिलेगा। 2014-19 बैच तक के 28 अफसरों को क्रमोन्नति देते हुए कनिष्ठ श्रेणी से वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान में पदोन्नत किया गया है।