इंदौर एमवाय अस्पताल में शुरू हुआ प्रदेश का पहला निशुल्क एलर्जी क्लिनिक, सौ से ज्यादा मरीजों को मिला उपचार का लाभ

अब एलर्जी से जूझ रहे मरीजों को जांच के लिए निजी अस्पतालों के महंगे बिलों से मुक्ति मिल गई है। इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में प्रदेश का पहला एलर्जी क्लिनिक शुरू किया गया है, जहां मरीजों को एलर्जी की जांच और उपचार पूरी तरह निश्शुल्क (फ्री) उपलब्ध होगा। यह पहल प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि अब आमजन को अपने शहर में ही विशेषज्ञ जांच और उपचार की सुविधा मिल सकेगी।

ईएनटी विभाग की पहल — अब सही कारणों की पहचान होगी

यह एलर्जी क्लिनिक एमवाय अस्पताल के ईएनटी (नाक, कान, गला) विभाग में संचालित किया जा रहा है। इसकी प्रमुख डॉ. यामिनी गुप्ता ने बताया कि रोज़ाना बड़ी संख्या में मरीज छींक, नाक बहना, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और त्वचा पर खुजली जैसी शिकायतों के साथ आते हैं। अब तक करीब 100 मरीजों की जांच की जा चुकी है, जिन पर 10 प्रकार की एलर्जी टेस्टिंग की गई है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि निजी अस्पतालों में यही जांचें ₹5,000 से ₹10,000 तक में होती हैं, जबकि एमवाय में मरीजों को यह सुविधा निश्शुल्क दी जा रही है।

अब अनुमान नहीं, सटीक जांच से तय होगा इलाज

डॉ. गुप्ता ने बताया कि पहले तक डॉक्टर केवल मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के आधार पर एलर्जी का अनुमान लगाते थे, लेकिन इससे बीमारी के सही कारण का पता नहीं चल पाता था। अब इस क्लिनिक में वैज्ञानिक जांच पद्धति के माध्यम से यह पता लगाया जा रहा है कि एलर्जी वास्तव में किस वजह से हो रही है। इससे न केवल उपचार अधिक प्रभावी हो रहा है, बल्कि यह रिसर्च का भी एक अहम हिस्सा बन गया है — जिससे आने वाले समय में प्रदेशभर में एलर्जी के पैटर्न और प्रमुख कारणों की पहचान संभव हो सकेगी।

शोध में सामने आए दिलचस्प नतीजे

अभी तक की जांचों में यह बात सामने आई है कि गाजर घास (Congress Grass) और घर की धूल से एलर्जी वाले मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। इसी तरह कुछ लोगों को पालतू जानवरों के बाल, परागकण, खाद्य पदार्थों, कपड़ों, मच्छर या मधुमक्खी के डंक, और यहां तक कि दवाइयों से भी एलर्जी पाई गई है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, इन आंकड़ों से यह समझने में मदद मिल रही है कि इंदौर और आसपास के इलाकों की जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ किन तरह की एलर्जी को बढ़ावा दे रही हैं। यह शोध भविष्य में पूरे प्रदेश में एलर्जी नियंत्रण नीतियों और जागरूकता अभियानों की दिशा तय कर सकता है।

एलर्जी से बचाव के आसान उपाय

विशेषज्ञों ने कहा कि एलर्जी से बचाव के लिए कुछ छोटी-छोटी आदतें अपनाकर बड़ा फर्क लाया जा सकता है —
• धूल या प्रदूषित स्थानों पर जाने से पहले मास्क पहनें।
• घर के बिस्तर, परदे और सोफा नियमित रूप से साफ करें।
• पालतू जानवरों को समय-समय पर नहलाएं।
• और सबसे जरूरी — जिस खाद्य पदार्थ या वस्तु से एलर्जी हो, उससे परहेज करें।

इन उपायों से न केवल एलर्जी के लक्षणों में राहत मिलती है, बल्कि आगे चलकर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।

एक नई उम्मीद – शोध और सेवा का संगम

एमवाय अस्पताल का यह एलर्जी क्लिनिक केवल एक उपचार केंद्र नहीं, बल्कि शोध और जनसेवा का संगम बन गया है। यह पहल उन हजारों परिवारों के लिए राहत लेकर आई है जो अब तक निजी लैब में महंगी जांचें कराने को मजबूर थे। अब सरकार और चिकित्सा विशेषज्ञों का लक्ष्य है कि आने वाले समय में प्रदेश के अन्य बड़े अस्पतालों में भी ऐसे क्लिनिक शुरू किए जाएं, ताकि हर नागरिक को सस्ती और सटीक जांच का लाभ मिल सके। यह कदम स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को एक नई दिशा दे सकता है।