लेखक
आलोक ठक्कर
शेयर बाजार ( stock market ) में पांच महीने से भी अधिक समय से जारी गिरावट में ताजा गिरावट ने घबराहट का काम किया है। बाजार में इस गिरावट को हाहाकार की तरह माना जा रहा है।
फरवरी में 40 लाख करोड़ stock market में डूबे
केंद्र की सरकार और अनुषंगी संगठन जिस तरह से दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था की डींगे हांकते नहीं थक रहे उसके सामने सिर्फ फरवरी में शेयर बाजार ( stock market ) में 40.50 लाख करोड़ रुपये आम निवेशकों की जमा से कम होना और पिछले पाँच माह में 91 लाख करोड़ रुपयों की कुल पूंजी का स्वाहा होना छोटे ही नहीं वरन बढ़े निवेशकों के भी चूले हिला रहा है। बात सिर्फ मंदी की हो तो भी बाजार इसे पचा सकता है, लेकिन जिस तरह का दबाव बना है और पसंद का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनने के बाद यह स्थिति बनना भविष्य को लेकर काफ़ी संशय पैदा कर रही है। भारत के साथ ही एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश चीन पर भी पूरी ताक़त से अतिरिक्त आयात शुल्क लगाए जाने से हालत अधिक बिगड़े है। सरकार चाहे इस बारे में जो भी कहे लेकिन 60 लाख स्ढ्ढक्क खातों का बंद होना और तेजी से सिमटते ऑप्शन ट्रेडिंग कारोबार से यह घबराहट और बढऩे लगी है।