भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर ऐतिहासिक ऊँचाइयों को छूने के बेहद करीब है। निफ्टी अपने अब तक के सर्वोच्च स्तर से केवल 210 अंकों की दूरी पर है, जबकि सेंसेक्स भी अपने लाइफ-टाइम हाई से लगभग 746 अंक पीछे है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोमवार का सत्र दोनों इंडेक्स को नया रिकॉर्ड दिला सकता है। लेकिन इसी बीच रुपये की तेज गिरावट ने बाजार के सामने एक नई बाधा खड़ी कर दी है, जो बाजार की तेजी पर ब्रेक लगा सकती है। साथ ही विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर में मजबूती, आने वाले दिनों में भारतीय बाजार के मूड को और प्रभावित कर सकती है।
डॉलर के सामने पस्त हुआ रुपया, एक दिन में दर्ज हुई बड़ी गिरावट
शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.49 पर बंद हुआ, जो उसके पहले के रिकॉर्ड निचले स्तर 88.80 से भी नीचे चला गया। एक ही दिन में करीब 0.9% की यह गिरावट मई के बाद सबसे तेज मानी गई है। मुद्रा बाज़ार के जानकार इसे पोर्टफोलियो निवेशों की निकासी, अमेरिका-भारत ट्रेड डील को लेकर असमंजस और RBI की इंटरवेंशन में कमी से जोड़कर देख रहे हैं।
साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ एक ही दिन में 1,700 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे डॉलर में गिरते रिटर्न के कारण भारतीय बाजारों में उनकी दिलचस्पी कम होती दिखाई दे रही है।
शेयर बाजार में मजबूती बरकरार, लेकिन सेंटीमेंट पर मंडरा रहा दबाव
एनरिच मनी के CEO पोनमुडी आर के अनुसार आने वाले हफ्तों में रुपये का रुख बाजार के सेंटीमेंट को काफी हद तक प्रभावित करेगा। तेज गिरावट बाजार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इससे डॉलर-एडजस्टेड रिटर्न कमजोर होता है, जिससे विदेशी निवेशक सतर्क रुख अपनाते हैं।
तकनीकी संकेत बताते हैं कि करेंसी का यह दबाव आगे भी जारी रह सकता है। अनुमान है कि दिसंबर 2025 से जनवरी 2026 के बीच रुपया 90.50–91.00 के दायरे में रह सकता है।
इसके बावजूद पिछले सप्ताह निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में क्रमशः 0.61% और 0.79% की बढ़त दिखी, जिसकी वजह भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता, मजबूत क्वार्टरली नतीजे और घटती महंगाई को लेकर उत्साह रहा।
विशेषज्ञों की राय—क्या रुपया शेयर बाजार के लिए नया विलेन बनेगा?
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर के अनुसार, पूरे सप्ताह बाजार मजबूत आर्थिक संकेतों के सहारे बना रहा। बेहतर नतीजे, कम होती महंगाई और FII की बिकवाली में कमी ने बाजार को सहारा दिया।
लेकिन शुक्रवार का उतार-चढ़ाव इस बात का संकेत है कि बाजार की मजबूती रुपये की कमजोरी से प्रभावित हो सकती है। वैश्विक संकेतों में कमजोरी, फेड द्वारा दिसंबर में ब्याज दर कटौती की कम उम्मीदें और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में देरी की आशंका ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
नायर का कहना है कि यदि रुपया दबाव में रहा, तो बाजार में निकट भविष्य में मुनाफावसूली बढ़ सकती है, जिससे वर्तमान तेजी कुछ समय के लिए थम सकती है।