भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर के मध्य में समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बढ़त ऐसे समय में सामने आई है, जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव बने हुए हैं। इसके बावजूद भारत की वित्तीय स्थिति स्थिर और मजबूत बनी हुई है, जो देश की आर्थिक सेहत के लिए सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
सोने की कीमतों में तेजी बनी बढ़ोतरी की बड़ी वजह
इस बार विदेशी मुद्रा भंडार में आई मजबूती का प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में तेजी रही। वैश्विक अस्थिरता के चलते निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में सोने की ओर तेजी से आकर्षित हुए हैं। इसका सीधा असर भारत के गोल्ड रिजर्व के मूल्य पर पड़ा, जिससे कुल फॉरेक्स भंडार में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला।
डॉलर के साथ अन्य मुद्राओं का भी योगदान
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में केवल अमेरिकी डॉलर ही नहीं, बल्कि यूरो, ब्रिटिश पाउंड और जापानी येन जैसी प्रमुख वैश्विक मुद्राएं भी शामिल हैं। इन मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में आए उतार-चढ़ाव से भी फॉरेक्स संपत्तियों के मूल्य में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जुड़े विशेष अधिकार और भारत की रिजर्व स्थिति में भी हल्का सुधार देखने को मिला है।
आयात खर्च के लिए पर्याप्त फॉरेक्स रिजर्व
रिजर्व बैंक के अनुसार, मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार देश के 11 महीने से अधिक के आयात खर्च को पूरा करने में सक्षम है। इसका मतलब यह है कि कच्चा तेल, गैस और अन्य जरूरी वस्तुओं के आयात को लेकर भारत पर फिलहाल किसी तरह का दबाव नहीं है। यह स्थिति देश की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करती है और वैश्विक निवेशकों के विश्वास को भी बढ़ाती है।
बीते वर्षों की तुलना में सकारात्मक रुझान
पिछले कुछ वर्षों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। वर्ष 2022 में आई गिरावट के बाद 2023 और 2024 में धीरे-धीरे सुधार हुआ और 2025 में अब तक फॉरेक्स रिजर्व में अच्छी बढ़त दर्ज की गई है। यह संकेत करता है कि भारत की बाहरी अर्थव्यवस्था संतुलित प्रबंधन और मजबूत नीतियों के चलते सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भी मामूली बढ़त
उधर, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भी पिछले सप्ताह हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 19 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में सेंट्रल बैंक के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 15.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गए। वहीं, कमर्शियल बैंकों के पास नेट फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 5.1 बिलियन डॉलर रहा। इस तरह देश का कुल लिक्विड फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 21.0 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया।
कुल मिलाकर क्या कहती है तस्वीर
कुल मिलाकर, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई यह बढ़ोतरी देश की आर्थिक मजबूती, बेहतर वित्तीय प्रबंधन और वैश्विक स्तर पर बढ़ते भरोसे को दर्शाती है। वहीं, पाकिस्तान के आंकड़े बताते हैं कि वहां स्थिति में मामूली सुधार तो है, लेकिन भारत की तुलना में आर्थिक स्थिरता अभी भी सीमित नजर आती है।