एमपी के टाइगर रिजर्व में सख्ती, कोर एरिया में मोबाइल इस्तेमाल पर रोक, बफर जोन में नाइट सफारी पर भी ब्रेक

मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में अब वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर और अधिक सख्त कदम उठाए गए हैं। जंगल के कोर एरिया में घूमने वाले पर्यटकों के लिए मोबाइल फोन का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। सतपुड़ा, पेंच, बांधवगढ़ सहित प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में यह नई व्यवस्था 16 दिसंबर से लागू हो गई है। अब पर्यटक कोर क्षेत्र में न तो मोबाइल से फोटो खींच सकेंगे और न ही वीडियो बना पाएंगे। इस फैसले का उद्देश्य वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार और उनके विचरण में किसी भी तरह की रुकावट को रोकना है।

मोबाइल कैमरे से बढ़ रही थी जंगल की हलचल

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जंगल के भीतर अनावश्यक शोर, फ्लैश लाइट और लगातार गतिविधियां बढ़ रही थीं, जिससे टाइगर और अन्य वन्यजीवों पर नकारात्मक असर पड़ रहा था। कई बार जानवर अपने रास्ते बदल लेते थे या तनाव में आ जाते थे। नई व्यवस्था लागू होने से जंगल का वातावरण पहले की तरह शांत रहेगा और जानवर बिना किसी डर या व्यवधान के अपने प्राकृतिक क्षेत्र में विचरण कर सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत लिया गया फैसला

यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर लिया गया है, जिसमें वन्यजीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि पर्यटन गतिविधियां इस तरह संचालित हों, जिससे वन्यजीवों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसी के तहत मध्य प्रदेश वन विभाग ने यह सख्त कदम उठाया है और सभी टाइगर रिजर्व में एक जैसी व्यवस्था लागू की है।

बफर जोन में नाइट सफारी पर भी लगी रोक

केवल कोर एरिया ही नहीं, बल्कि टाइगर रिजर्व के बफर जोन में भी अब नाइट सफारी पूरी तरह बंद कर दी गई है। अधिकारियों का मानना है कि रात के समय सफारी से वन्यजीवों की दिनचर्या प्रभावित होती है और उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता है। नाइट सफारी पर रोक से टाइगर, तेंदुआ और अन्य प्रजातियों को अधिक सुरक्षित और शांत वातावरण मिल सकेगा।

पर्यटकों के लिए बदलेगा सफारी का अनुभव

इस नई व्यवस्था के बाद पर्यटकों को जंगल सफारी का आनंद अब मोबाइल फोन के बिना लेना होगा। हालांकि शुरुआत में यह बदलाव कुछ लोगों को असुविधाजनक लग सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लोग प्रकृति से और गहराई से जुड़ पाएंगे। बिना कैमरे और मोबाइल के पर्यटक जंगल की असली खूबसूरती, शांति और रोमांच को महसूस कर सकेंगे। वन विभाग का कहना है कि यह कदम दीर्घकाल में वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए बेहद जरूरी है।