कैलाश पर्वत को देवादी देव महादेव का पहला घर माना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते है कि मध्यप्रदेश में एक ऐसा पावन स्थल है, जिसे महादेव का दूसरा घर कहा जाता है।
एपमी में पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर माना जाता है। पचमढ़ी की खूबसूरत वादियों में जटा शंकर महादेव धाम भक्तों की आस्था का केंद्र है। ये एक पवित्र गुफा है, जिसमें एक स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है।
जटाशंकर महादेव की गुफा को लेकर पौराणकि मान्यता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान भोलेनाथ ने पहले इटारसी के पास तिलक सुंदर की पहाड़ियों में शरण ली थी। इसेक बाद वे जटाशंकर आकर छुप गए थे। पचमढ़ी में शिवजी ने यहां अपनी विशालकाय जटाएं फैलाई थी। यहां चारों तरफ चट्टानों का फैलाव देखकर अद्भूत अहसास होता है।
पचमढ़ी की ये जगह इतनी सुंदर है कि इसे कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर माना जाता है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ भस्मासुर से बचने के लिए जिन कंदराओं में छुपे थे वे सभी स्थान पचमढ़ी में है। वैसे तो पूरे सालभर यहां लोगो का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में और शिवरात्रि पर यहां भक्तो का सैलाब उमड़ता है।
पचमढ़ी के जटाशंकर धाम में विशेषता ये है कि यहां स्थित गुफा के अंदर बिना किसी सहारे के एक झूलता हुआ विशाल शिलाखंड है। गुफा तक पहुंचने से पहले एक हनुमान मंदिर आता है। जहां एक शिलाखंड पर हनुमान जी की मुर्ति उकेरी गई है। पचमढ़ी का जटाशंकर धाम भोपाल से लगभग 186 किलोमीटर दूर है।