जज के बेल ऑर्डर पर भड़का सुप्रीम कोर्ट? ट्रेनिंग पर भेजने के दिए आदेश

न्यायपालिका में एक चोंका देने वाला मामला सामने आया है। जब निचली कोर्ट के आदेश से उच्च कोर्ट के जज भड़क उठे । यह सिर्फ यहीं तक खत्म नहीं  हुआ बल्कि जज को ट्रेनिंग पर भेजने के आदेश तक दे दिए।

ज्यूडिशियल अकादमी भेजने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के दो न्यायिक अधिकारियों को जमानत आदेशों में गलतियां मिलने पर दिल्ली ज्यूडिशियल अकादमी में स्पेशल ट्रेनिंग के लिए भेजने का आदेश दिया। इन अधिकारियों ने एक आदतन अपराधी दंपती को जमानत दी थी जबकि उन्होंने पैसे लौटाने का वादा तोड़ दिया था। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को उच्च न्यायालयों के फैसलों का सम्मान करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के इस रवैये को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वह इन आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकता। बेंच ने निर्देश दिया कि दोनों न्यायिक अधिकारियों को कम से कम सात दिनों का विशेष प्रशिक्षण लेना होगा।

जज के आदेश में मिली खामियां
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के एक अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) और एक सत्र न्यायाधीश के जमानत आदेशों में खामियां पाए जाने के बाद उन्हें दिल्ली ज्यूडिशियल अकादमी में स्पेशल ट्रेनिंग के लिए भेजने का आदेश दिया है। यह कदम तब उठाया गया, जब एक आदतन अपराधी दंपती को निचली अदालतों और दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दी गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने गलत ठहराया।

आदतन अपराधी को दे दी जमानत
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने साफ किया कि यह फैसला आजादी के सिद्धांतों को कमजोर करने वाला नहीं है, बल्कि आरोपी दंपती का आचरण ऐसा था कि उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए थी। दंपती पर छह समान आपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप है। इसमें उन्होंने 1.9 करोड़ रुपये की ठगी की। यह ठगी एक जमीन को बेचने के बहाने की गई, जो पहले ही बिक चुकी थी। इसके बाद भी उन्होंने पीड़ित को पैसे लौटाने से इनकार कर दिया, जिसके चलते उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

दिल्ली हाई कोर्ट से मिली थी जमानत
2018 में दंपती ने दिल्ली हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत हासिल की थी। जमानत के वक्त उन्होंने पैसे लौटाने का वादा किया था। इसके आधार पर उन्हें लगभग पांच साल तक बेल मिला। हालांकि, उन्होंने अपना वादा तोड़ दिया और रकम वापस नहीं की। इस पर हाई कोर्ट ने 2023 में उनकी जमानत रद कर दी। इसके बावजूद, चार्जशीट दाखिल होने के बाद दंपती ने निचली अदालत से नियमित जमानत हासिल कर ली, जिसे सत्र न्यायाधीश और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा।

प्रशिक्षण की व्यवस्था करने पर दिया जोर
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया गया है कि वे दिल्ली ज्यूडिशियल अकादमी में इस प्रशिक्षण की व्यवस्था करें। प्रशिक्षण का विशेष जोर इस बात पर होगा कि उच्च न्यायालयों के फैसलों को कितना महत्व देना चाहिए और न्यायिक कार्रवाई को कैसे संचालित करना चाहिए।

न्याय  प्रक्रिया में जोर देने का प्रयास
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह कदम न केवल न्यायिक प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि भविष्य में इस तरह की चूक न हो, खासकर जब उच्च न्यायालयों के आदेशों का मामला हो।