सुप्रीम कोर्ट बोला… Mosque में जय श्रीराम का नारा लगाना अपराध कैसे?

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए पूछा कि जय श्री राम का नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद ( Mosque ) में कथित रूप से जय श्री राम का नारा लगाने वाले दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। दरअसल, शिकायतकर्ता हैदर अली ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 13 सितंबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस पंकज मित्तल और संदीप मेहता की बेंच ने पूछा कि दोनों लोग एक धार्मिक नारा लगा रहे थे या कहें कि एक व्यक्ति का नाम ले रहे थे। ये अपराध कैसे हो सकता है।

Mosque में कथित अपराध का कोई सबूत नहीं

कर्नाटक हाईकोर्ट ने दो लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश सुनाया था। इन दोनों पर 24 सितंबर 2023 को मस्जिद ( Mosque ) के अंदर दाखिल होने और वहां धार्मिक नारे लगाने का आरोप लगाया गया था। दोनों के खिलाफ कड़ाबा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस एफआईआर में कहा गया था कि कुछ अनजान लोग मस्जिद में दाखिल हुए, जय श्री राम के नारे लगाए और धमकी दी। दोनों ने अपने खिलाफ एफआईआर और कानूनी कार्यवाही को रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कहा था कि जिन अपराधों की शिकायत की गई है उनका कोई सबूत नहीं है। ऐसे में याचिकाकतार्ओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही किए जाने की इजाजत देने से कानून और न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

हाईकोर्ट ने एमपी सरकार को दी 7 दिन की आखिरी मोहलत

जबलपुर। प्रदेश के पुलिस थानों में बने या बन रहे मंदिरों पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए 7 दिन की आखिरी मोहलत दी है। 19 नवंबर और इसके पहले 4 नवंबर को भी हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा-जल्द से जल्द राज्य सरकार पूरे प्रदेश के थानों के अंदर बने मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों की पूरी सूची तैयार करते हुए पेश करे। हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि प्रदेश के किस थाने में कब मंदिर बनाए गए और मंदिर बनाने के लिए आखिर किसने आदेश दिए थे? जबलपुर के ओपी यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। 1 महीने पहले भी इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने थानों में बन रहे मंदिरों पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आखिरकार कैसे शासकीय जमीन पर मंदिर बन रहे हैं? मामले पर सरकार ने अपनी प्रारंभिक आपत्तियां भी बताई थीं। इसे मानने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है।

सीएस और डीजीपी को नोटिस देकर मांगा था जवाब

एक महीने पहले सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन, डीजीपी सुधीर सक्सेना को नोटिस देकर जवाब मांगा था। नोटिस गृह विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग को भी दिए गए थे। याचिकाकर्ता ओपी यादव ने जबलपुर शहर के सिविल लाइन, लार्डगंज, मदनमहल और विजय नगर थाने में बने मंदिरों की फोटो भी याचिका में लगाई। बताया था कि पुलिस अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं।