स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस प्रस्ताव के तहत मौजूदा या पूर्व संवैधानिक न्यायालय के जजों ( Judges ) के परिवार के सदस्यों को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश फिलहाल रोकी जा सकती है। सूत्रों की माने तो ऐसा इसलिए किया जा रहा क्योंकि एक आम धारणा है कि इन वकीलों को पहली पीढ़ी के वकीलों की तुलना में जज बनने की प्रक्रिया में प्राथमिकता मिलती है।
Judges की नियुक्ति पहले पीढ़ी के वकीलों को दी जाती थी
दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट न्यायाधीशों ( Judges ) के लिए सिफारिश किए गए वकीलों के साथ बातचीत भी शुरू की है। सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के करीबी रिश्तेदारों की नियुक्ति के खिलाफ विचार कर सकता है। कॉलेजियम हाईकोर्ट के कॉलेजियम को ऐसे उम्मीदवारों की सिफारिश न करने का निर्देश देने पर विचार कर सकता है, जिनके माता-पिता या करीबी रिश्तेदार सर्वोच्च न्यायालय या हाईकोर्ट के वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश रहे हों। इस धारणा को मिटाने के लिए कि योग्यता से ज्यादा वंश को महत्व दिया जाता है या न्यायिक अधिकारी को हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश में पहली पीढ़ी के वकीलों पर प्राथमिकता दी जाती है, कॉलेजियम के एक जज ने हाल ही में एक विचार रखा। उन्होंने हाईकोर्ट के कॉलेजियम को निर्देश देने का सुझाव दिया कि वे ऐसे वकीलों या न्यायिक अधिकारियों की सिफारिश न करें जिनके माता-पिता या करीबी रिश्तेदार सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालयों के जज थे हैं।
ये हैं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य
कॉलेजियम में सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका शामिल हैं। वे जानते हैं कि कुछ योग्य उम्मीदवार, जो वर्तमान या पूर्व सुप्रीम कोर्ट या हाकोर्ट जजों के करीबी रिश्तेदार हैं, इस प्रस्ताव से वंचित हो सकते हैं। इसके अलावा जस्टिस हृषिकेश रॉय और अभय एस ओका भी हाईकोर्ट में जजों की सिफारिश करने वाली पांच सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में उच्च न्यायालयों में सिफारिश की गई जजों के लिए व्यक्तिगत मुलाकातें शुरू की हैं, जो पारंपरिक बायोडाटा, लिखित मूल्यांकन और खुफिया रिपोर्ट्स से एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
2015 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया एनजेएसी
गौरतलब है कि 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द कर दिया था। एनजेएसी को संसद द्वारा सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए लाया गया था। कॉलेजियम प्रणाली, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के चयन को नियंत्रित करती है। एनजेएसी को रद्द करने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने जजों के चयन की अपारदर्शी प्रक्रिया में कुछ पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।