New Delhi : देश में तेजी से फैल रहे ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर क्राइम पर लगाम कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। अदालत ने इस गंभीर अपराध पर स्वतः संज्ञान लेते हुए देशभर में दर्ज सभी मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सीबीआई इन मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी और उसे जांच के लिए विशेष अधिकार भी दिए गए हैं।
सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि साइबर अपराधी बेखौफ होकर लोगों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। अदालत ने कहा कि जैसे ही इस मामले पर संज्ञान लिया गया, कई पीड़ित सामने आए, जिससे इस अपराध की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी के चलते एक एकीकृत और व्यापक जांच की जरूरत है।
CBI को मिले अभूतपूर्व अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम की जांच के लिए सीबीआई को कई विशेष शक्तियां प्रदान की हैं। एजेंसी को निर्देश दिया गया है कि वह अन्य घोटालों की तुलना में इन मामलों की जांच को प्राथमिकता दे।
अदालत ने सीबीआई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत बैंकरों की भूमिका की जांच करने की पूरी आजादी दी है। जांच एजेंसी उन बैंक खातों की गहनता से पड़ताल कर सकेगी, जिनका इस्तेमाल इस तरह के स्कैम में किया गया है। इसके अलावा, जांच के अंतरराष्ट्रीय पहलुओं को खंगालने के लिए सीबीआई को इंटरपोल से मदद लेने की भी छूट दी गई है।
RBI और टेलीकॉम विभाग को सख्त निर्देश
अदालत ने इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने आरबीआई से पूछा है कि इस तरह के अपराधों में इस्तेमाल होने वाले बैंक खातों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता।
इसके साथ ही, एक ही व्यक्ति के नाम पर कई सिम कार्ड जारी होने पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने दूरसंचार विभाग (DoT) को भी निर्देश दिए हैं। DoT को सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव दाखिल करने को कहा गया है, ताकि सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों को इस संबंध में सख्त आदेश जारी किए जा सकें।
राज्यों और आईटी कंपनियों के लिए भी आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे ‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़े सभी मामले तत्काल सीबीआई को सौंप दें। जांच में समन्वय के लिए सीबीआई हर राज्य से एक-एक पुलिस अधिकारी को नामित करेगी।
अदालत ने आईटी इंटरमीडियरीज को भी आदेश दिया है कि वे जांच में सीबीआई को पूरा सहयोग करें और अपराध में इस्तेमाल हुए मोबाइल नंबरों व उपकरणों से जुड़ा डेटा सुरक्षित रखें। इस मामले पर अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।