स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों ( EVM ) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के साथ अनिवार्य रूप से मिलान करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष बुधवार को याचिका पर सुनवाई हुई।
EVM के कंट्रोलर से छेड़छाड़ नहीं हो सकती
वीवीपैट और ईवीएम ( EVM ) को लेकर मांगे गए सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण पर चुनाव आयोग के डिप्टी इलेक्शन अधिकारी नीतेश ब्यास ने जवाब दिया और कहा कि एक वोटिंग यूनिट में एक बैलट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और एक वीवीपैट यूनिट होती है। सभी यूनिट में अपना-अपना माइक्रो कंट्रोलर होता है। इन कंट्रोलर से छेड़छाड़ नहीं हो सकती है। उन्होंने बताया कि सभी माइक्रो कंट्रोलर में सिर्फ एक ही बार प्रोग्राम फीड किया जा सकता है। चुनाव चिन्ह अपलोड करने के लिए हमारे पास दो मैन्युफैक्चर है। एक ईसीआई (ईसीआई) दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी मशीन 45 दिन तक स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखी जाती है। उसके बाद रजिस्ट्रार इलेक्शन से इस बात की पुष्टि की जाती है कि क्या चुनाव को लेकर कोई याचिका तो दायर नहीं हुई है। अगर याचिका नहीं दायर होती है तो स्ट्रांग रूम को खोला जाता है। वहीं कोई याचिका दायर होने की सूरत में रूम को सीलबन्द रखा जाता है।
प्रशांत ने सुप्रीम कोर्ट में दी फ्लैश मेमोरी पर दलील
एडीआर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि हर माइक्रो कंट्रोलर में एक फ्लैश मेमोरी होती है। ये कहना ठीक नहीं होगा कि फ़्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोगाम फीड नहीं किया जा सकता है। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इसलिए हमने चुनाव आयोग से भी यही सवाल पूछा था। आयोग का कहना है कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि वो फ्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते, बल्कि चुनाव चिन्ह अपलोड करते है जोकि इमेज की शक्ल में होता है। हमें तकनीकी चीजों पर आयोग पर यकीन करना ही होगा।
अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई: सुप्रीम कोर्ट
प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वो चुनाव चिन्ह के साथ-साथ कोई गलत प्रोगाम तो अपलोड कर सकते हैं। मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपकी दलील को समझ गए। हम फैसले में इसका ध्यान रखेंगे। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से कहा कि क्या हम संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी कर सकते हैं? जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं उसमें कहा गया है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है। हम किसी दूसरे संवैधानिक अथॉरिटी को नियंत्रित नहीं करते है। हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में वीवीपैट की बात कही गई थी और उसका पालन किया गया, लेकिन इसमें कहां कहा गया है कि सभी पर्चियों का मिलान करें। इसमें 5 प्रतिशत लिखा है अब देखते हैं कि क्या इन 5 प्रतिशत के अलावा कोई उम्मीदवार कहता है कि दुरुपयोग के मामले आए हैं।