Supreme Court: ‘अगर कुछ गलत पाया गया तो…’, SC ने IIT और Sharda University में आत्महत्याओं पर संज्ञान लिया

Supreme Court :  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर और शारदा विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई छात्र आत्महत्याओं के मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि जांच के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी या संस्थागत विफलता सामने आती है, तो अवमानना की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। इस मामले में सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अपर्णा भट को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।

IIT खड़गपुर आत्महत्या पर Supreme Court ने लिया संज्ञान

18 जुलाई को IIT खड़गपुर के परिसर में एक चौथे वर्ष के बीटेक छात्र, रितम मंडल (21), का शव उनके हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका हुआ पाया गया। कोलकाता के रहने वाले इस मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र ने 17 जुलाई की रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में विश्राम किया था। उनके एक हॉस्टल सहपाठी के अनुसार, उस रात उनके व्यवहार में कोई असामान्यता नहीं दिखी थी। IIT खड़गपुर के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह बार-बार दरवाजा खटखटाने पर कोई जवाब न मिलने के बाद, परिसर में मौजूद पुलिस चौकी और संस्थान के सुरक्षा गार्डों ने दरवाजा तोड़ा और रितम को फंदे से लटके हुए पाया। संस्थान ने इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की है, और जांच जारी है।

शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या को लेकर भी Supreme Court ने भी लिया संज्ञान

उसी दिन, 18 जुलाई को शारदा विश्वविद्यालय में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) की द्वितीय वर्ष की एक छात्रा ने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली। हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली इस छात्रा ने कथित तौर पर फैकल्टी सदस्यों द्वारा लगातार मानसिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद अपनी जान ले ली। छात्रा का शव विश्वविद्यालय के नॉलेज पार्क परिसर में उनके हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला।

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम इन दोनों दुखद घटनाओं के पीछे के कारणों की गहराई से जांच करने और संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि जांच में किसी भी तरह की लापरवाही या गलत कार्य सामने आता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला न केवल इन संस्थानों के प्रशासन पर सवाल उठाता है, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के लिए सुरक्षित और सहायक माहौल की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।