देश में बढ़ते आवारा कुत्तों के हमलों (Stray Dog Attacks) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अब सरकारी दफ्तरों और भवनों में कुत्तों को खाना खिलाने (Feeding Stray Dogs) पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सरकारी कर्मचारी खुद इस समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे सड़कों पर कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। कोर्ट ने साफ कहा कि जनता की सुरक्षा सर्वोच्च है, और इस मुद्दे पर जल्द ही औपचारिक आदेश जारी किया जाएगा।
राज्यों के मुख्य सचिवों ने कोर्ट में मांगी माफी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (States & UTs) के मुख्य सचिवों (Chief Secretaries) को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था। वजह यह थी कि कई राज्यों ने समय पर एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स (Animal Birth Control Rules) के तहत हलफनामा दाखिल नहीं किया था। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सभी मुख्य सचिव कोर्ट में पेश हुए और अपनी गलती मानते हुए बिना शर्त माफी (Unconditional Apology) मांगी। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने चेतावनी दी कि भविष्य में यदि किसी राज्य ने इस तरह की लापरवाही दोहराई, तो कोर्ट सख्त कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगा।
कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण के लिए सख्त पालन जरूरी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि देश में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या का मुख्य कारण है एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स का ठीक से पालन न होना। अदालत ने एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (Animal Welfare Board of India) को मामले में पक्षकार बनाया है ताकि वह सभी राज्यों में नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर नजर रख सके। कोर्ट का कहना है कि यदि नसबंदी और टीकाकरण की प्रक्रिया समय पर और सही तरीके से की जाती, तो आज सड़कों पर इतने कुत्ते न होते और आम जनता को खतरा झेलना न पड़ता।
सरकारी दफ्तरों में फीडिंग पर सख्ती, जल्द आएगा आदेश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया ने सरकारी दफ्तरों में कुत्तों को खाना खिलाने की प्रथा पर गंभीर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि यह प्रवृत्ति न केवल अनुशासनहीनता को बढ़ावा देती है, बल्कि सड़कों और दफ्तर परिसरों में सुरक्षा जोखिम भी बढ़ाती है। कोर्ट ने कहा, “कई सरकारी कर्मचारी खुद कुत्तों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे समस्या और गंभीर हो रही है।” कोर्ट ने यह भी बताया कि इस विषय पर कुछ ही दिनों में आदेश जारी किया जाएगा, जिससे सरकारी परिसरों में फीडिंग पर औपचारिक रोक लग सके।
वकील करुणा नंदी ने मांगी अनुमति, कोर्ट ने ठुकराया अनुरोध
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी (Adv. Karuna Nundy) ने हस्तक्षेप याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में पक्ष रखने की अनुमति दी जाए, लेकिन अदालत ने उनकी दलील सुनने से इंकार कर दिया। बेंच ने कहा, सरकारी संस्थानों से जुड़े इस मसले पर हम किसी तीसरे पक्ष को नहीं सुनेंगे। यह फैसला सीधे तौर पर सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ा है।
कुत्तों के काटने से पीड़ितों को राहत
सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं को भी स्वीकार किया है जो Dog Bite Victims की ओर से दायर की गई थीं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब पीड़ितों को कोर्ट की रजिस्ट्री में कोई फीस या राशि जमा नहीं करनी होगी। इसके विपरीत, कुत्तों के पक्ष में दखल देने वाले व्यक्तियों को ₹25,000, जबकि किसी एनजीओ को ₹2 लाख रुपये कोर्ट में जमा कराने होंगे। यह निर्णय अदालत के इस रुख को दर्शाता है कि वह अब पीड़ितों की बात प्राथमिकता से सुनना चाहती है।
7 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर 2025 के लिए तय की है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि अगली तारीख को सरकारी भवनों में फीडिंग पर रोक से जुड़ा आदेश जारी कर दिया जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि देश के सभी राज्य आवारा कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए सख्ती से कदम उठाएं।
जनता की सुरक्षा पर अदालत का स्पष्ट संदेश
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम पब्लिक सेफ्टी (Public Safety) के दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। देश के कई हिस्सों में कुत्तों के हमले से लोग घायल हो रहे हैं, कई मामलों में बच्चों और बुजुर्गों की जान तक चली गई। अदालत ने साफ किया कि अब इस समस्या को “दया” या “भावनाओं” के नजरिए से नहीं, बल्कि कानूनी और जनहित के आधार पर देखा जाएगा। कोर्ट के इस सख्त रुख से यह उम्मीद बढ़ी है कि आने वाले महीनों में सड़कों पर आवारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण होगा और आम लोगों को इस खतरे से राहत मिलेगी।