पटना में गूंजा ‘स्वदेशी संकल्प’, किसानों और महिलाओं ने लिया देशप्रेम का प्रण

पटना में आज एक प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला जब किसानों और महिलाओं ने मिलकर देश की अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत को मज़बूती देने के लिए ‘स्वदेशी अपनाओ’ का संकल्प लिया। यह निर्णय न सिर्फ भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी भारत को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाला कदम माना जा रहा है।

‘हम अपने देश का ही खरीदेंगे’

इस आयोजन में भाग लेने वाले किसानों ने यह निश्चय किया कि अब वे अपने घरों में उपयोग की जाने वाली चीज़ों में केवल उन्हीं वस्तुओं को प्राथमिकता देंगे जो या तो उनके गाँव, शहर, प्रदेश या देश में ही बनी हों। यह कदम प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए ‘स्वदेशी वस्तु ही खरीदें’ के आह्वान से प्रेरित था। किसानों ने यह संदेश भी दिया कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर नागरिक को छोटे-छोटे स्तर पर योगदान देना चाहिए।

राखी भी अब होगी स्वदेशी

इस अवसर पर उपस्थित बहनों ने भी एक सुंदर पहल की और संकल्प लिया कि वे अपने भाइयों की कलाई पर इस रक्षाबंधन केवल उन्हीं राखियों को बाँधेंगी जो देश में बनी हों, खासकर अपने स्थानीय क्षेत्र या आस-पास के दस्तकारों द्वारा बनाई गई हों। यह कदम न सिर्फ भारतीय कारीगरों और महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि त्योहारों के माध्यम से ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को भी मज़बूती देगा।

भारत की अर्थव्यवस्था है अश्वमेघ का घोड़ा: रोकना अब असंभव

इस अवसर पर वक्ताओं ने गर्व के साथ कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक अश्वमेघ के घोड़े के समान है, जिसे अब कोई ताक़त रोक नहीं सकती। वर्तमान में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुँचने की ओर अग्रसर है। यह विकास तभी स्थायी हो पाएगा जब आमजन भी उसमें सहभागी बनें और देश में बने उत्पादों को अपनाने में गर्व महसूस करें।

144 करोड़ भारतीय अगर ठान लें तो दुनिया देखेगी चमत्कार

यह भी कहा गया कि अगर भारत की 144 करोड़ जनसंख्या अपने रोज़मर्रा के उपयोग में आने वाले सामानों में सिर्फ देश में बने उत्पादों का ही उपयोग शुरू कर दे, तो भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ उछाल आ सकता है। यह जनआंदोलन के रूप में कार्य करेगा, जहाँ एक-एक व्यक्ति की भागीदारी से देश के आर्थिक पहिए को नई गति मिलेगी।