टी राजा सिंह का भाजपा पर हमला: कहा- पार्टी में घुटन थी, अब चुप नहीं रहूंगा

टी राजा सिंह : तेलंगाना के गोशामहल से विधायक टी राजा सिंह, जो अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनके इस फैसले से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। इस्तीफे के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे बार-बार पार्टी को बताते रहे कि तेलंगाना में भाजपा की सरकार बन सकती है, लेकिन जब भी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होती है, पार्टी गलत व्यक्ति को जिम्मेदारी दे देती है। कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं लेकिन नेतृत्व सही नहीं है।

राजा सिंह की तीखी टिप्पणी-

टी राजा सिंह ने बातचीत में पार्टी के अंदर उनके साथ हुई परेशानियों और दुख की बात कही। उन्होंने बताया कि वह 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन तब से अब तक उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके इलाके को बार-बार टारगेट किया गया। उन्होंने पूछा, मैं कब तक यह सब सहता रहूं? अब पार्टी में घुटन महसूस होने लगी है।

नए नेतृत्व पर मचा घमासान, फैसले से कई नेता नाखुश

सिंह ने आगे कहा कि वह काफी समय से यह कह रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष चुनने से पहले बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेताओं तक से बातचीत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को ऐसा नेता चाहिए जो तेज-तर्रार हो और खुलकर हिंदुत्व की बात करे, क्योंकि तेलंगाना की जनता ऐसे नेता को ही पसंद करती है।

राजा सिंह का दावा – मोदी और शाह के संपर्क में हूँ

टी राजा सिंह ने साफ किया कि भले ही वह भाजपा में रहें या नहीं, लेकिन वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थक हमेशा रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे इन नेताओं का सम्मान करते हैं और उनका साथ देंगे। सिंह ने यह भी कहा कि पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष ऐसा हो जो खुलकर हिंदुत्व की बात करे और उसके लिए आवाज उठाए।

टी राजा सिंह ने अध्यक्ष चयन को लेकर जताई नाराजगी

तेलंगाना के गोशामहल से विधायक टी राजा सिंह ने भाजपा प्रदेश प्रभारी की नियुक्ति से नाराज होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि रामचंद्र राव को अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला उनके साथ-साथ लाखों कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए निराशा भरा है। उन्होंने कहा कि जब भाजपा तेलंगाना में सरकार बनाने की तैयारी कर रही है, तब ऐसा फैसला पार्टी की दिशा पर सवाल खड़े करता है और कार्यकर्ताओं का मनोबल भी तोड़ता है।