कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में आयोजित 7वें भारतीय संस्कृति उत्सव के समापन पर जम्मू-कश्मीर के लिए एक गर्वपूर्ण घोषणा की गई। सीमावर्ती जिले सांबा की सामाजिक कार्यकर्ता और युवा नेता तमन्ना स्लाथिया को उनके अनुकरणीय समाजसेवा कार्यों के लिए ‘भारत गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार उन्हें युवा नेतृत्व और सामाजिक न्याय में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।
यह नौ दिवसीय भव्य राष्ट्रीय आयोजन प्रसिद्ध समाजसेवी व विचारक के. एन. गोविंदाचार्य की परिकल्पना थी और इसका उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर, पूर्व सांसद बसवराज पाटिल, रिटायर्ड मेजर जनरल प्रमोद सहगल, वीएमएफ संस्थापक माधव रेड्डी, और 50 से अधिक पद्मश्री पुरस्कार विजेता उपस्थित थे। इस वर्ष के आयोजन का मुख्य विषय “प्रकृति से संस्कृति तक” था, जो 15 लाख से अधिक प्रतिभागियों के मन को गहराई से छू गया। भारतीय संस्कृति उत्सव न केवल देश की समृद्ध विरासत का उत्सव है, बल्कि यह भारत-केंद्रित सतत विकास के लिए समर्पित एक मंच भी है।
तमन्ना स्लाथिया का प्रेरणादायक योगदान
युवा सम्मेलन के दौरान तमन्ना स्लाथिया को यह सम्मान सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और महिला शांति प्रयासों में उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए प्रदान किया गया। 11 वर्षों से अधिक समय से वे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और देशभर के युवा संगठनों को सशक्त बना रही हैं। उन्होंने भारत, श्रीलंका, नाइजीरिया और बांग्लादेश में भी सामाजिक बदलाव लाने के लिए प्रभावशाली कार्य किए हैं।
गुरहा स्लाथिया गांव में जन्मी तमन्ना ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और जम्मू-कश्मीर का गौरव बढ़ाया है। वे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापना और युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही हैं। उनकी दृष्टि केवल वैश्विक प्रभाव तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदायों और उनकी पारंपरिक ज्ञान-प्रणाली को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है।
द डैफोडिल्स प्रोजेक्ट: एक नई उम्मीद
वर्तमान में वे अपनी संस्था ‘द डैफोडिल्स प्रोजेक्ट’ के माध्यम से “बियॉन्ड डिकोलोनाइजिंग पीस: भारत में स्वदेशी शांति नेतृत्व को दस्तावेज़ और पुनर्जीवित करना” पहल की अगुवाई कर रही हैं। इस परियोजना का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें संघर्ष समाधान के लिए स्वदेशी ज्ञान से जोड़ना है।
तमन्ना की प्रेरणादायक भावनाएं
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सुश्री तमन्ना स्लाथिया ने कहा: “यह सम्मान मेरे लिए सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि मेरे क्षेत्र, मेरे समुदाय और मेरे देश के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। इस मंच ने मुझे भारत के महानतम विचारकों से सीखने का अवसर दिया, जिससे मुझे यह समझने का मौका मिला कि सबसे प्रभावशाली बदलाव नीतिगत चर्चाओं में नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर होता है, जहां पर्यावरणीय जागरूकता और सतत विकास साथ-साथ चलते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “इस सम्मान ने मुझे अपने लोगों के लिए और भी मेहनत करने की प्रेरणा दी है। मैं अपने क्षेत्र को संघर्ष और अशांति से निकालकर शांति और समृद्धि के नए युग में ले जाने के लिए पूरी तरह समर्पित हूं।” तमन्ना स्लाथिया का यह योगदान युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है और यह दर्शाता है कि दृढ़ निश्चय और समर्पण से किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। उनका जीवन और कार्य आने वाले समय में भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
🚩 तमन्ना स्लाथिया की यह सफलता, केवल उनका नहीं, बल्कि पूरे भारत का गौरव है!