लेखिका
पीनल पाटीदार
डॉ. राधाकृष्णन के एक विचार से हुई थी शिक्षक दिवस ( teachers day ) मनाने की शुरुआत, शिक्षा के क्षेत्र में दिया था महत्वपूर्ण योगदान । जहाँ कृष्ण ने दिया गीता का उपदेश वहीं डॉ. राधाकृष्णन ने किया शिक्षा के महत्व को रेखांकित भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने का कारण भारतीय संविधान के निर्माता और देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था, और वे एक प्रमुख शिक्षाविद् और महान शिक्षक थे।
teachers day का इतिहास और महत्व…
1. डॉ. राधाकृष्णन की भूमिका : डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था। उन्होंने अपने शिक्षण करियर में महत्वपूर्ण योगदान दिया, विशेषकर कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में। उनकी शिक्षण शैली और दार्शनिक दृष्टिकोण ने उन्हें एक प्रमुख शिक्षक और विद्वान बनाया। 1962 में जब वे राष्ट्रपति बने, छात्रों ने उनके जन्मदिन को विशेष दिन के रूप में मनाने की इच्छा जताई। डॉ. राधाकृष्णन ने इसे शिक्षकों के सम्मान का दिन मानाने का सुझाव दिया, जिसे बाद में भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा बन गई। इस प्रकार, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस ( teachers day ) मनाने का निर्णय डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षण और विद्वता के प्रति समर्पण को सम्मानित करने के उद्देश्य से लिया गया था।
2. महत्व, सम्मान और आभार : यह दिन शिक्षकों को उनके समर्पण, मेहनत और समाज के प्रति उनके योगदान के लिए सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है।
शिक्षा का प्रचार: शिक्षक दिवस के माध्यम से शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया जाता है और समाज में शिक्षा के प्रसार की प्रेरणा दी जाती है।
प्रेरणा: यह दिन छात्रों को प्रेरित करता है कि वे अपने शिक्षकों की मेहनत और योगदान को समझें और उनकी सलाह को महत्व दें।
उपलब्धियाँ और सम्मान
भारत रत्न (1954) भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से उन्हें उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ़ मेरिट (1963) उन्हें इस मानद सदस्यता से भी नवाजा गया, जो उनके अंतरराष्ट्रीय सम्मान और योगदान को दर्शाता है। शिक्षक दिवस के मौके पर विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें छात्रों द्वारा अपने शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, विद्वान और शिक्षक थे, जिन्होंने भारतीय शिक्षा और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित किया। भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य के रिश्ते को अत्यधिक महत्व दिया जाता है और यह दिन इस पारंपरिक मूल्य को सम्मानित करता है।
शिक्षक दिवस का महत्व…
- गुरु-शिष्य परंपरा : भारतीय संस्कृति में गुरु (शिक्षक) को बहुत ऊंचा स्थान दिया गया है। शिक्षक केवल शिक्षा नहीं देते, बल्कि जीवन की महत्वपूर्ण सीख भी प्रदान करते हैं। शिक्षक दिवस इस संबंध की पवित्रता और महत्व को मान्यता देता है।
- सम्मान और आभार : यह दिन शिक्षकों की मेहनत और लगन को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है। शिक्षक दिवस पर, छात्र अपने शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करते हैं, जिससे शिक्षकों को अपने योगदान की महत्ता का एहसास होता है।
- आत्मनिरीक्षण और प्रेरणा : शिक्षक इस दिन आत्मनिरीक्षण कर सकते हैं कि वे कितनी प्रभावशाली ढंग से शिक्षा दे रहे हैं और छात्रों के लिए एक प्रेरक वातावरण कैसे बना सकते हैं। यह दिन उन्हें अपने शिक्षण तरीके और शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण पर विचार करने का अवसर भी देता है।
- समाजिक और शैक्षिक प्रेरणा : शिक्षक दिवस न केवल छात्रों को प्रेरित करता है कि वे अपने शिक्षकों का आदर करें, बल्कि यह समाज को भी शिक्षा के महत्व और शिक्षकों की भूमिका को समझने का अवसर प्रदान करता है।इस प्रकार, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का आयोजन न केवल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को मनाता है, बल्कि यह शिक्षा और शिक्षकों के प्रति हमारी गहरी श्रद्धा और सम्मान को भी उजागर करता है।