Teachers Day Special : टीकमगढ़ कलेक्टर ने सुनाया जनसुनवाई का एक यादगार किस्सा

Teachers Day Special : 5 सिंतबर को शिक्षक दिवस के मौके पर टीकमगढ़ के कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने अपने कार्यकाल के दौरान की एक जनसुनवाई का एक बड़ा दिलचस्प और भावुक करने वाला किस्सा सुनाया।

कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय कहते है कि – जून महीने में शाम को दफ़्तर में जनसुनवाई के दौरान यह बालक अपने पिता के साथ मेरे पास आया। उसके पिता ने बताया कि इस बच्चे का चयन एक्सिलेंस विद्यालय में हो चुका है और पिछला स्कूल TC  यानी स्थानांतरण प्रमाण पत्र नहीं दे रहा है।

मैंने उन्हें ध्यान से सुना और लड़के से उसका नाम पूछा, उसने अपना नाम बताया – अंशुल अहिरवार। किस कक्षा में पढ़ते हो ? उसने कहा -आठवी पास की है। कौन सा विषय पसंद है? उसने कहा – अंग्रेज़ी और मैंने कहा यहाँ जो और ग्रामीण जन आए हुए हैं उन्हें अंग्रेज़ी में कुछ सुना पाओगे – बेझिझक और आत्मविश्वास के साथ उस बालक ने सबको My name is … My father’s name is ..सुनाया।

लड़के के आत्मविश्वास और उसकी आँखो में सच्चाई से मैं प्रभावित हो ही रहा था कि मैंने उससे पूछा बड़े होकर क्या बनोगे – यह प्रश्न मैंने सैकड़ों बार बच्चों से पूछा है। इंजीनियर, डॉक्टर, व्यवसायी, डिजाइनर, साइंटिस्ट ,कलाकार, और खिलाड़ी सामान्यतः यही जवाब मिलते आए थे। “लेकिन अंशुल का जवाब था – मैं टीचर बनूंगा।” आश्चर्य और प्रसन्नता के साथ मैंने उसे बुलाया, उसके साथ सेल्फी ली और तुरंत वो फोटो संबंधित तहसीलदार को भेजी कि यह लड़का कल मिलेगा, इसका काम तुरंत कराना और उसका काम हुआ भी।

अन्य शासकीय सेवकों की तरह टीचर की ज़िम्मेदारी मात्र एक नौकरी करने तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों के भीतर डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी ,डिज़ाइनर ,साइंटिस्ट, कलाकार और खिलाड़ी की प्राण प्रतिष्ठा करने की है। कलेक्टर कहते है कि शिक्षक की पाठशाला से एक दिन की अनुपस्थिति से एक दिन जो बच्चों के जीवन से मिस हो जाता है वो दोबारा कभी नहीं आता।

बहरहाल, शिक्षक दिवस पर मुझे यहाँ तक पहुँचाने वाले मेरे श्रद्धेय शिक्षकों को नमन और कहीं- कहीं विषम परिस्थितियों में शिक्षादान दे रहे शिक्षकों सहित जिले के सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं। और अंशुल और उनके सहपाठियों की पीढ़ी बहुत सफल शिक्षक बने ऐसी शुभकामनाएं।