स्वतंत्र समय, भोपाल
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018 में बनाए गए नए कैडर में शामिल होने की सजा भुगत रहे करीब तीन लाख शिक्षकों ( teachers ) का बुढ़ापा अब आसानी से कट सकेगा। इनकी पहले की सर्विस को सरकार शून्य नहीं मान सकेगी। सरकार को इन सभी की पुरानी सेवा को भी जोडक़र पेंशन और ग्रेज्युटी तय करना पड़ेगी। हाईकोर्ट ने पूर्व में रिटायर हुए सभी शिक्षकों की पुरानी ग्रेज्युटी की राशि 30 दिन में देने का आदेश सुनाया है। इससे सभी को अपना भविष्य सुनहरा नजर आने लगा है।
नए कै़डर में एक शर्त जो सभी teachers के लिए हिडन थी
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने 2018 में शिक्षकों ( teachers ) का एक नया कैडर बनाया था। इसके लिए सभी शिक्षकों से स्वेच्छा के आधार पर विकल्प मांगे गए थे। उस समय करीब 3 लाख शिक्षक नए कैडर में शामिल किए गए थे। सेवा शर्तों व नियमों के साथ शिक्षकों से सहमति भी भरवा ली थी। इन सबमें एक शर्त थी जो सभी के लिए हिडन थी। वह यह कि नए कैडर में शामिल होते ही पुरानी सारी नौकरी शून्य मानी जाएगी। अधिकांश ने नए कैडर में आते वक्त इस पर ध्यान भी नहीं दिया। ध्यान तब गया, जब रिटायरमेंट पर पेंशन और ग्रेज्युटी बनी।
स्कूल शिक्षा विभाग पुरानी सारी सेवा शून्य करते हुए 2018 के बाद के वर्षों यानि 5-6 साल की ही सेवा मानते हुए पेंशन और ग्रेज्युटी तय कर रही थी। रिटायर्ड शिक्षकों ने इसका विरोध करते हुए पिछले साल श्रम न्यायालय में केस दायर किया। श्रम विभाग ने नियुक्ति आदेश, बैंक की पासबुक, पीएफ समेत रिटायरमेंट के डॉक्यूमेंट देखने के बाद सरकार के इस फैसले को गलत माना। साथ ही 21 मई 2024 को शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया। मगर अपनी जिद पर अड़े स्कूल शिक्षा विभाग ने श्रम न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर दिया।
लंबे इंतजार के बाद भी विभाग से न्याय न मिलता देख एक रिटायर्ड टीचर ने हाईकोर्ट की शरण ले ली। हाईकोर्ट ने 4 सितंबर को दिए अपने आदेश में सरकार के रवैये और फैसले को गलत मानते हुए 30 दिन के भीतर याचिकाकर्ता को पूरी सेवा अवधि के हिसाब से ग्रेज्युटी मय ब्याज के देने का आदेश सुनाया है। इससे करीब तीन लाख शिक्षकों को अपना बुढ़ापा संवरता नजर आ रहा है। साथ ही पेंशन की राशि में भी वृद्धि की उम्मीद जाग गई है।
ऐसे सामने आई मनमानी
खंडवा निवासी शिक्षक हुकुमचंद गोयल 2022 में रिटायर हुए तो उन्हें मात्र दो लाख रुपए ग्रेज्युटी मिली। इसी तरह अन्य शिक्षकों को भी अपने रिटायरमेंट पर बमुश्किल 1500 से 3000 रुपए पेंशन और डेढ़-दो लाख रुपए ग्रेज्युटी के मिले। रिटायर्ड होने के बाद सभी को मालूम पड़ा कि उनकी केवल 2018 के बाद की सेवा जोड़ी जा रही है। ऐसे नौ शिक्षक मिलकर पहले श्रम न्यायालय में गए। जब विभाग ने श्रम न्यायालय का फैसला मानने से इंकार कर दिया तो हुकुमचंद हाईकोर्ट जबलपुर चले गए। अब हाईकोर्ट ने भी लेबर कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वे याचिकाकर्ता की पूरे 24 साल के सर्विस पीरिएड को मान्य कर ग्रेज्युटी के रूप में ब्याज सहित ग्रेज्युटी के रूप में 9 लाख 15 हजार रुपए का भुगतान करे। कोर्ट ने इसके लिए 30 दिन का समय दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यदि विभाग ने तय समय में उन्हें बढ़ी हुई ग्रेज्युटी का लाभ नहीं दिया तो वे अवमानना का प्रकरण दर्ज कराएंगे। गोयल के इस संघर्ष से 3 लाख शिक्षकों के लिए रास्ता खुल गया है। वे भी कोर्ट के आदेश के आधार पर अपनी पूरी सर्विस की ग्रेज्युटी का हक ले सकते हैं। सरकार उनकी पुरानी सर्विस को शून्य नहीं कर सकती।