इंदौर में बन रहे Z-शेप ओवरब्रिज की उपयोगिता और व्यवहारिकता को लेकर शुक्रवार को स्थिति उस वक्त गंभीर हो गई जब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मौके पर पहुंचकर खुद इसका निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पीडब्ल्यूडी और आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर सहित डिजाइन एक्सपर्ट्स भी मौजूद थे।
90 डिग्री के खतरनाक मोड़, बड़े वाहन नहीं कर पाएंगे टर्न
जैसे ही मंत्री विजयवर्गीय ने डिजाइन को ज़मीन पर वास्तविक स्थिति से मिलाया, यह स्पष्ट हो गया कि दो जगह 90 डिग्री के तीखे मोड़ बनाए गए हैं, जो बड़े वाहनों के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे भारी वाहनों को मुड़ने के लिए कम से कम 18 मीटर का टर्निंग रेडियस चाहिए, जबकि डिजाइन में महज 12 मीटर की जगह दी गई है। यह तब और खतरनाक हो जाता है जब सामने से भी ट्रैफिक आ रहा हो।
“जगह नहीं थी” पर नहीं चलेगा काम
जब मंत्री ने अफसरों से इस अव्यवस्थित डिजाइन को लेकर सवाल किए, तो जवाब मिला कि जितनी जगह उपलब्ध थी, उसी में प्लानिंग करनी पड़ी। इस पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए मंत्री ने स्पष्ट कहा कि “ऐसा नहीं चलेगा, अगर और ज़मीन की ज़रूरत है तो प्रस्ताव बनाकर दें, सरकार ज़मीन उपलब्ध कराएगी। जनता के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।”
लक्ष्मीबाई नगर और एमआर 4 की दिशा में फिर से होगी प्लानिंग
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने पोलोग्राउंड, लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन और एमआर 4 जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को लेकर अधिकारियों से चर्चा की और कहा कि नई प्लानिंग के तहत ब्रिज का डिज़ाइन फिर से तैयार किया जाएगा। उन्होंने लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन की ओर जा रही भुजा के साथ-साथ एक और भुजा के प्लान को लेकर भी सवाल उठाया।
भागीरथपुरा की भुजा दिखी ही नहीं, एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता
हालांकि अफसरों ने बताया कि एक अतिरिक्त भुजा भागीरथपुरा की दिशा में उतारने की योजना है, लेकिन मंत्री ने पाया कि यह डिजाइन में दर्शाई ही नहीं गई थी। आईआईटी प्रोफेसर प्रियांशु और एक्सपर्ट अतुल सेठ ने सुझाव दिया कि चूंकि एमआर 4 पर ट्रैफिक का लोड पहले से अधिक है और भविष्य में और बढ़ेगा, इसलिए ब्रिज की दोनों भुजाओं को इसी मार्ग पर उतारना उचित होगा।
डिजाइन से पहले नहीं हुआ ट्रैफिक सर्वे
सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब सिटी इंजीनियर अतुल सेठ ने बताया कि ब्रिज की डिजाइनिंग से पहले कोई ट्रैफिक सर्वे ही नहीं कराया गया था। केवल गूगल मैप देखकर लोकेशन निकाली गई और उसी के आधार पर डिजाइन बनाकर काम शुरू कर दिया गया। यह योजना न सिर्फ तकनीकी रूप से अधूरी है, बल्कि ट्रैफिक और जनता की जरूरतों को नज़रअंदाज करने वाली भी है।
बाणगंगा ब्रिज की प्लानिंग भी सवालों के घेरे में
इसी दौरे में मंत्री विजयवर्गीय ने बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग पर बन रहे ओवरब्रिज का भी निरीक्षण किया, जहां फिर से वही गलती दोहराई गई थी, 90 डिग्री का टर्न। अफसरों ने बिना ट्रैफिक सर्वे के यहां भी डिजाइन बना दी थी, जबकि ब्रिज की एक भुजा गौरी नगर की तरफ उतारी जा रही है, जहां ट्रैफिक की जरूरत ही नहीं है।
एमआर 4 से आईएसबीटी जोड़े जाने का सुझाव
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस ब्रिज से निकलने वाला ट्रैफिक भविष्य में आईएसबीटी और इंडस्ट्रियल सेक्टर से जुड़ने वाला है, जो सीधे एमआर 4 मार्ग से जुड़ता है। ऐसे में भुजा को गौरी नगर की ओर उतारने की बजाय, एमआर 4 पर ही उतारना ज़्यादा तार्किक और व्यावहारिक होगा।