बताओ आंबेडकरजी को पहली केबिनेट से इस्तीफा क्यों देना पड़ा, अनुसूचित जाति – जनजाति के प्रति व्यवहार से उनके असंतोष पर कभी कोई कांग्रेसी क्यों नहीं लड़ा…

प्रखर – वाणी

सच्चाई को तोड़ मरोड़कर अपने हितार्थ आंदोलन…वाह रे कांग्रेसियों ये कैसा तुम्हारा संसद में नया चलन…आंबेडकर जी के अपमान की बात कर अमित शाह को बदनाम करते हो…वर्षों से जारी दलितों की लड़ाई को किस षड्यंत्र के सहारे अपने नाम करते हो…अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर वाले 11 सेकंड के वीडियो पर तो खूब हो हल्ले कर लिए…बुजुर्ग सांसदों को धक्का देकर घायल कर दिया फिर इंकार कर बल्ले बल्ले कर दिए…तुम्हारी चिलबोली हरकतों से देश पहले से ही भलीभांति परिचित है…संसद में आंख मारना और प्रधानमंत्री का अपमान करना तुम्हारी डिक्शनरी में यथोचित है…तुमने एक अंश को प्रचारित कर शाह पर उंगली उठाई…

तुमको क्या उनकी आगे वाली बात समझ में नहीं आई…अमित शाह ने उसके बाद ये भी कहा कि हमें तो आनन्द है कि आप आंबेडकर का नाम लेते हैं…उनके नाम से राजनीति करने का संदेश देते हैं…उनका नाम सौ बार ज्यादा लो कोई बुराई नहीं…उनके नाम के साथ आपका भाव क्या है इसको बताने में अपनी चतुराई नहीं…तुम बताओ आंबेडकरजी को पहली केबिनेट से इस्तीफा क्यों देना पड़ा…अनुसूचित जाति – जनजाति के प्रति व्यवहार से उनके असंतोष पर कभी कोई कांग्रेसी अपने आकाओं से क्यों नहीं लड़ा…सरकार की विदेश नीति व अनुच्छेद 370 के प्रति उनकी असहमति को किसने नजरअंदाज किया…तुमने उसके साथ ही धोखा किया जो संविधान की रक्षा हेतु ताउम्र जिया…संविधान की पुस्तक हाथ में रखकर उसकी रक्षा की बात करने वाले बहरूपिये बन गए हैं…

दादागिरी व गुंडागिर्दी की सोच रखकर कइयों के सीने तन गए हैं…वर्षों बाद देश को सरदार पटेल की तरह बेबाक व जांबाज गृहमंत्री मिला…उसकी नीतियों और क्रियाओं को देखकर क्यों तुम्हारा दिल जला…दलितों को न्याय मिले इसके लिए सरकार की नीति व नियत पर प्रश्नचिन्ह मत लगाओ…देश के प्रथम नागरिक तक का ओहदा दलितों को देने वाले के विरुद्ध छद्म अरमान मत जगाओ…राजनीतिक कुटिलता के पांसे बिसात पर फैंकने से असलियत परास्त नहीं होती…विरोध के लिए विरोध और फिर प्रतिशोध से देशभक्ति की सोच बर्खास्त नहीं होती…जिनकी मातृ संस्था सामाजिक समरसता का अभियान चलाती है…

ऊंच – नीच का भेदभाव भुलाकर दलितों को साथ भोजन करवाती है…उनको वोट बैंक की खातिर अपनी तुच्छ राजनीति का शिकार मत बनाओ…गांधी को वर्षों से भुनाने वालों अब अंबेडकर जी के नाम को मत भुनाओ…देश की मुख्य धारा में जिनको तुम पचास साल सत्ता में रहकर नहीं ला पाए…वो जो लाना चाहते हैं उनके खिलाफ क्यों खड़े हो मुँह फुलाए…ये हरकते बन्द करो और तमाशों की तरकीबें छोड़ो…देश प्रगति की राह पर बढ़ना चाहता है तुम भी उसी तरफ दौड़ो….