जम्मू-कश्मीर की वादियों में एक बार फिर गोलियों की गूंज ने सन्नाटा बुन दिया। 22 अप्रैल को पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन इलाके में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले के बाद, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को एक विशेष सत्र बुलाया गया। जैसे ही सत्र शुरू हुआ, पूरे सदन में शोक और गुस्से की एक लहर फैल गई। स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने मारे गए निर्दोष पर्यटकों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखने की अपील की। पूरे सदन में एक साथ सिर झुक गए। यह उन परिवारों के प्रति संवेदना का पल था, जिनके सपनों को आतंक ने छीन लिया।
विधानसभा में पेश हुआ प्रस्ताव
“ये हमला सिर्फ लोगों पर नहीं, कश्मीरियत, संविधान और हमारी एकता पर सीधा प्रहार है,” उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने गुस्से और दुख के मिश्रित स्वर में कहा। उन्होंने सरकार की ओर से एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें इस बर्बरता की निंदा करते हुए केंद्र सरकार की कार्रवाई को समर्थन दिया गया।
भावुक बयान से बयां किया दर्द
विधानसभा में सबसे भावुक लम्हा तब आया जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा,
“यह पहला हमला नहीं है… हमने डोडा में खून बहते देखा है, कश्मीरी पंडितों और सिखों की बस्तियों पर कहर देखा है, और अब, 21 साल बाद फिर एक बड़ा हमला।” उनकी आवाज़ में थरथराहट थी जब उन्होंने कहा, “हम बंदूक से आतंकवाद को नियंत्रित कर सकते हैं, खत्म नहीं।” उन्होंने यह भी साफ किया कि इस समय राज्य की सुरक्षा का सवाल राजनीति से परे है—”मैं इस मौके पर स्टेटहुड या राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं करूंगा। यह वक्त सिर्फ शोक का है, संकल्प का है।”