थलपति विजय : तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव करीब एक साल दूर हैं, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। सत्ताधारी डीएमके ने 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जबकि गठबंधन में शामिल वीसीके और लेफ्ट पार्टियां ज्यादा सीटों की मांग कर रही हैं। दूसरी ओर, बीजेपी भी सक्रिय हो गई है। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया और स्टालिन सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा। उन्होंने दावा किया कि अगले चुनाव में एनडीए सरकार बनेगी। शाह ने बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा भी लिया। अब बीजेपी की नजर एनडीए का दायरा बढ़ाने पर है। पार्टी सिने स्टार थलपति विजय की पार्टी टीवीके से संपर्क की योजना बना रही है। बीजेपी नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने संकेत दिया है कि सही समय पर सभी समान सोच वाली पार्टियों को साथ लाकर डीएमके को हराने की रणनीति बनाई जाएगी।
क्या विजय बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित होंगे?
तमिलनाडु बीजेपी को थलपति विजय से उम्मीद इसलिए है क्योंकि उनकी सहयोगी एआईएडीएमके अब पहले जैसी मजबूत नहीं रही। पार्टी आंतरिक गुटबाजी में उलझी है, जिससे राजनीति में खाली जगह बनी है। विजय की पार्टी टीवीके इस खाली जगह को भरने और डीएमके के खिलाफ मजबूत विकल्प बनने की कोशिश कर रही है। अगर टीवीके वोट खींचती है, तो डीएमके विरोधी वोट बंटेंगे, जिससे चुनावी असर दिख सकता है।
स्टार पॉलिटिक्स तमिलनाडु में बनी रही है जीत की कुंजी
तमिलनाडु की राजनीति में ग्लैमर की शुरुआत एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) ने की थी। उन्होंने कांग्रेस से राजनीति शुरू की, फिर डीएमके से होते हुए 1972 में एआईएडीएमके बनाई और 1977 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। वह तीन बार सीएम रहे। उनकी पत्नी जानकी रामचंद्रन भी फिल्मों से राजनीति में आईं और कुछ समय के लिए सीएम बनीं। डीएमके नेता करुणानिधि भी फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे और पांच बार मुख्यमंत्री बने। जयललिता भी एक सफल फिल्म अभिनेत्री थीं और छह बार सीएम बनीं। अब विजय भी सुपरस्टार हैं, और बीजेपी को उनसे मजबूत साझेदारी की उम्मीद है।