इंदौर यु तो भारत का सबसे स्वच्छ शहर का खिताब कई बार अपने नाम कर चुका हेै ।अब शहर की हवा इन दिनों सांस लेने लायक नहीं रह गई है। अप्रैल की शुरुआत से ही इंदौर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 100 के नीचे नहीं आया है, और जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वायु प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक होता जा रहा है। छोटी ग्वालटोली क्षेत्र के रियल टाइम पॉल्यूशन स्टेशन के अनुसार, 9 अप्रैल को शहर का AQI स्तर 236 तक पहुंच गया, जो बेहद ही खतरनाक है।विशेषज्ञों के अनुसार, AQI का 100 के ऊपर होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और सांस के मरीजों के लिए। शहर में बढ़ते प्रदुषण का कई कारण है जेसे ~ अधूरे निर्माण कार्यों, सीमावर्ती इलाकों में पराली जलाने और हरियाली की कमी |
इदौर के जलवायु की सच्चाई
IIT इंदौर की सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मनीष कुमार गोयल और उनकी टीम द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि मध्य प्रदेश के नागरिक अब साल में औसतन 70 से 80 दिन अधिक प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, जबकि पहले यह आंकड़ा मात्र 15 से 25 दिन था। यह रिपोर्ट ‘टेक्नोलॉजी इन सोसाइटी’ जर्नल में प्रकाशित हुई है | रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर 40–45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि अत्यधिक प्रदूषण वाले दिनों में यह 200–250 तक पहुंच जाता है। IIT इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने बताया कि महिलाएं वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं। इसका एक बड़ा कारण घरों में खाना पकाने के लिए लकड़ी और कोयले का उपयोग करना है, मनीष गोयल ने बताया कि पीएम 2.5 जैसे कण बेहद खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनसे ये फेफड़ों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकता हैं।जिससे गंभीर बीमारियों हो सकती है।
क्या कहता है पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड?
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर में पीएम-10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि देखी जा रही है। हवा की धीमी गति, तेजी से हो रहे विकास कार्य, बढ़ते वाहन और हरियाली की कमी वायु प्रदूषण को और बढ़ा रहे हैं। गर्मी में एसी का ज्यादा उपयोग भी वायु गुणवत्ता पर गलत असर डाल रहा है।विशेषज्ञों का कहना है कि जब AQI 100 से ऊपर होता है तो यह आंखों में जलन, गले में खराश और फेफड़ों में समस्या पैदा कर सकता है। AQI के 200 के पार पहुंचने पर यह स्थिति गंभीर हो जाती है और सांस लेना भी मुश्किल हो सकता है।इंदौर जैसे स्मार्ट सिटी के लिए यह स्थिति न सिर्फ चिंता का विषय है, बल्कि चेतावनी भी है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो यह वायु प्रदूषण आने वाले समय में और भी गंभीर रूप ले सकता है। विशेषज्ञों और संस्थाओं की सलाह के अनुसार, जन-जागरूकता, हरियाली बढ़ाना, स्वच्छ ईंधनों का प्रयोग और निर्माण कार्यों को नियंत्रित करना आवश्यक हो गया है।