इंदौर में बीजेपी कार्यकारिणी विवाद ने बढ़ाई अंदरूनी कलह, जिराती समर्थकों के हंगामे से संगठन में मचा बवाल

इंदौर में बीजेपी नगर कार्यकारिणी की घोषणा के बाद खाती समाज के लोगों द्वारा किए गए प्रदर्शन ने पार्टी के अंदरूनी हालातों की पोल खोल दी है। सूत्रों के मुताबिक, यह विरोध किसी बाहरी समूह का नहीं, बल्कि खुद बीजेपी के पूर्व विधायक और पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती के समर्थकों द्वारा किया गया था। प्रदर्शन में शामिल एक नाम मनीष चौधरी का भी सामने आया है, जो जिराती के दामाद बताए जा रहे हैं।

सवालों के घेरे में बीजेपी नगराध्यक्ष

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा ने इस घटना के खिलाफ अभी तक कोई एफआईआर क्यों नहीं कराई। पार्टी के भीतर चर्चा है कि यदि किसी अन्य गुट से यह प्रदर्शन हुआ होता, तो तत्काल कार्रवाई होती। इस चुप्पी ने संगठन के अंदर असमंजस और खींचतान को और गहरा कर दिया है।

प्रमोद झा कांड की यादें ताज़ा

यह विवाद पुराने “प्रमोद झा कांड” की याद दिलाता है। कभी संघ के प्रचारक रहे प्रमोद झा का प्रभाव इंदौर और पूरे मालवा क्षेत्र में काफी मजबूत था, लेकिन एक गलती ने उनका राजनीतिक सफर समाप्त कर दिया। संगठन से नाराज होकर उनके समर्थकों ने बीजेपी दफ्तर में तोड़फोड़ कर दी थी। इसके बाद संघ और बीजेपी — दोनों ने उन्हें पूरी तरह हाशिए पर डाल दिया। अब कई कार्यकर्ता यही कह रहे हैं कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है, और इस बार निशाने पर जीतू जिराती हैं।

मंत्री गुट से ताल्लुक, आईडीए चेयरमैन की कुर्सी पर नजर

जीतू जिराती लंबे समय से कैलाश विजयवर्गीय गुट से जुड़े रहे हैं। उसी गुट के समर्थन से उन्हें विधानसभा टिकट भी मिला था, लेकिन बाद में वे कांग्रेस के जीतू पटवारी से चुनाव हार गए। तब से जिराती का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिरावट पर है। वे प्रदेश कार्यकारिणी से भी बाहर हो चुके हैं, और अब उनकी नजरें इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के चेयरमैन पद पर हैं। मगर, नगर कार्यकारिणी विवाद के बाद उनकी संभावनाएं कमजोर पड़ती दिख रही हैं।

प्रदर्शन में नशे का रंग, चेहरे ढके हुए

सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान कुछ कार्यकर्ता पूरी तरह नशे में धुत थे। विशेष रूप से मिलाप मिश्रा, जिसने नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा की नेम प्लेट पर कालिख पोती और कार्यालय के बाहर पोस्टर पर स्प्रे किया, वह शराब के नशे में था। बताया जा रहा है कि कार्यकारिणी की सूची में नीलेश चौधरी का नाम न होने से वह बुरी तरह भड़क गया और इस पूरे हंगामे की शुरुआत की।

बीजेपी दफ्तर में घुसकर तोड़फोड़

मिलाप मिश्रा और उसके साथियों ने पहले कार्यालय के बाहर नारेबाजी की, फिर बीजेपी नगराध्यक्ष का पुतला फूंका। इसके बाद वे दफ्तर में घुसे और वहां लगे दोनों नेम प्लेटों पर कालिख पोती। कई प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर अपने चेहरे ढक रखे थे, ताकि वे पहचान में न आ सकें। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में जमकर कहासुनी भी हुई।

जिराती कैंप पर बढ़ा दबाव

अब यह साफ हो चुका है कि प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर लोग जिराती कैंप से जुड़े थे। बावजूद इसके, मामले को कुछ नेता यह कहकर डायवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं कि “यह प्रदर्शन कांग्रेसियों ने किया।” लेकिन अंदरखाने हर कोई जानता है कि इस बार आग घर के भीतर ही लगी है। अब यह मामला सिर्फ अनुशासन का नहीं, बल्कि जिराती के राजनीतिक भविष्य का भी बन गया है।