एमपी पुलिस का अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल, सिर्फ 5 दिन में 10 हजार से ज्यादा तबादले

मध्य प्रदेश पुलिस के इतिहास में पहली बार एक अभूतपूर्व कदम उठाया गया है। महज पांच दिनों के भीतर 10,000 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानांतरण कर दिया गया है। यह फैसला लंबे समय से एक ही थाने में कार्यरत पुलिसकर्मियों को बदलकर प्रशासनिक सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है।

पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कुल 10,482 पुलिसकर्मियों के तबादले किए गए हैं। इनमें आरक्षक से लेकर सब-इंस्पेक्टर तक के अधिकारी शामिल हैं। इन सभी को नए थानों में पदस्थ किया गया है, ताकि निष्पक्षता बनी रहे और स्थानीय प्रभाव खत्म हो।

इस तबादले अभियान की सबसे बड़ी वजह पारदर्शिता और निष्पक्षता रही है। डीजीपी कैलाश मकवाना ने स्पष्ट किया कि एक ही स्थान पर लंबे समय से जमे पुलिसकर्मियों की भूमिका निष्पक्ष कानून व्यवस्था में बाधा बन सकती है। इसलिए यह फेरबदल जरूरी था।

इस व्यापक तबादला प्रक्रिया की रूपरेखा 11 जून को तैयार की गई थी। विशेष डीजी (प्रशासन) आदर्श कटियार ने सभी जिलों के एसपी को आदेश जारी किए थे, जिसके तहत 4 साल या उससे अधिक समय से एक ही थाने में पदस्थ अधिकारियों को हटाया जाना था।

इस परिवर्तन के दायरे में सूबेदार, सब-इंस्पेक्टर, एएसआई, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल शामिल हैं। कुल 15 सूबेदार, 196 एसआई, 1083 एएसआई, 3622 हेड कांस्टेबल और 5566 कांस्टेबल को नई जगहों पर भेजा गया है।

प्रदेश के करीब 1100 थानों में यह तबादला कार्रवाई संपन्न हुई है। इस कार्रवाई की शुरुआत से लेकर निष्पादन तक सिर्फ 5 दिन लगे, जो प्रशासन की तीव्रता और गंभीरता को दर्शाता है।

इंदौर पुलिस कमिश्नरेट में सबसे अधिक तबादले दर्ज किए गए हैं। यहां 1029 पुलिसकर्मी स्थानांतरित किए गए। इसके बाद ग्वालियर में 828, भोपाल में 699 और जबलपुर में 535 पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों को नई पदस्थापना मिली है।

भोपाल और इंदौर जिलों को पुलिसिंग के हिसाब से दो भागों में गिना जाता है – शहरी और ग्रामीण। इसलिए जब 57 जिलों की बात होती है, तो वह पुलिस प्रशासनिक दृष्टिकोण से होती है, जिससे तबादला सूची व्यापक रूप लेती है।

पुलिस मुख्यालय ने निर्देश दिए हैं कि सभी स्थानांतरित पुलिसकर्मी एक सप्ताह के भीतर नए पदस्थापना स्थल पर कार्यभार ग्रहण करें। इस प्रक्रिया की कड़ी निगरानी भी की जा रही है ताकि कोई भी ढिलाई न हो।

यह तबादला अभियान राज्य सरकार की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में एक सख्त और जरूरी कदम माना जा रहा है। इसे प्रशासनिक ‘बड़ी सर्जरी’ के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे आने वाले समय में पुलिसिंग व्यवस्था और ज्यादा जवाबदेह और निष्पक्ष हो सकेगी।