केंद्र का बड़ा फैसला, अब डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं मिलेगा कोई भी कफ सिरप

New Delhi : देश में अब कोई भी कफ सिरप मेडिकल स्टोर से सीधे खरीदना संभव नहीं होगा। केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी तरह के कफ सिरप की बिक्री के लिए डॉक्टर का पर्चा अनिवार्य कर दिया है। यह कदम देश और विदेश में भारतीय कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की कई घटनाओं के बाद उठाया गया है।

सरकार की शीर्ष नियामक संस्था, औषध परामर्श समिति (Drug Consultative Committee), ने अपनी 67वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके तहत, कफ सिरप को ‘ओवर द काउंटर’ (OTC) यानी बिना पर्चे के बिकने वाली दवाओं की सूची से हटा दिया गया है। इस फैसले का मकसद दवाओं के दुरुपयोग को रोकना और लोगों को डॉक्टरी सलाह के लिए प्रोत्साहित करना है।

सरकार ने क्यों उठाया यह सख्त कदम?

ये फैसला उन गंभीर घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है, जिन्होंने भारत की दवा इंडस्ट्री की साख पर सवाल खड़े कर दिए थे। हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और आसपास के इलाकों में ‘कोल्ड्रिफ’ नामक कफ सिरप पीने से कम से कम 24 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई थी। इसी तरह के मामले राजस्थान और गुजरात में भी सामने आए थे।

इन घरेलू घटनाओं के अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि को गहरा धक्का लगा। उज्बेकिस्तान में एक भारतीय कंपनी के कफ सिरप से 68 बच्चों की मौत के मामले में 21 लोगों को सजा सुनाई गई थी। वहीं, इंडोनेशिया में 2022-23 के दौरान 200 से ज्यादा बच्चों की जान चली गई। अफ्रीकी देश गाम्बिया में भी ऐसी ही दुखद घटनाएं हुईं।

अंतरराष्ट्रीय छवि और WHO की चेतावनी

इन मामलों के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारत में बनी कुछ दवाओं को लेकर अलर्ट जारी किया था। WHO ने तीन मिलावटी दवाओं की पहचान की थी, जिनमें श्रीसन फार्मास्युटिकल्स का ‘कोल्ड्रिफ’, रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स का ‘रेस्पिफ्रेश टीआर’ और शेप फार्मा का ‘रीलाइफ’ सिरप शामिल था। इन घटनाओं ने सरकार पर नियामक ढांचे को सख्त करने का दबाव बनाया।

दुरुपयोग और एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर भी लगेगी लगाम

सरकार का लक्ष्य सिर्फ कफ सिरप से होने वाली मौतों को रोकना नहीं, बल्कि दवाओं के नशे के तौर पर इस्तेमाल पर अंकुश लगाना भी है। कई कफ सिरप में ऐसे तत्व होते हैं, जिनका युवा नशे के लिए दुरुपयोग करते हैं।

इसके अलावा, यह कदम एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल को भी हतोत्साहित करेगा। बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक्स लेने से शरीर में एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) विकसित हो जाता है, जिससे बैक्टीरिया पर दवाएं असर करना बंद कर देती हैं। नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि लोग केवल जरूरत पड़ने पर और डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें।