मध्य प्रदेश सरकार अब ग्राम पंचायत क्षेत्रों में तेजी से फैल रही अवैध कॉलोनियों पर सख्ती करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। बहुत जल्द प्रदेश की ग्राम पंचायतों में भी कॉलोनाइजर एक्ट लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लागू होते ही अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर रोक लग सकेगी और पहले से विकसित हो चुकी अव्यवस्थित कॉलोनियों की समस्या पर भी नियंत्रण संभव होगा।
शहरों के बाहर बढ़ता शहरीकरण बना वजह
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन जैसे बड़े शहरों में प्रॉपर्टी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसी कारण मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोग शहर की सीमा से बाहर सस्ती जमीन की तलाश में जा रहे हैं। इस स्थिति का फायदा उठाकर कॉलोनाइजर शहरों से सटी ग्राम पंचायतों की जमीन पर कॉलोनियां काट रहे हैं और इन्हें ‘शहर के पास विकसित कॉलोनी’ बताकर बेच रहे हैं।
सुविधाओं के नाम पर वर्षों तक इंतजार
कई मामलों में कॉलोनाइजर कॉलोनी विकसित करने का दावा तो करते हैं, लेकिन हकीकत यह होती है कि सालों बाद भी वहां सड़क, पेयजल, बिजली, नाली और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पातीं। लोग अपने घर तो बना लेते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी अव्यवस्था को देखते हुए सरकार अब अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है।
समस्या की जड़ कहां है?
सरकारी स्तर पर हुई समीक्षा में सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनाइजर को अपेक्षाकृत आसानी से अनुमतियां मिल जाती हैं और निगरानी भी कमजोर रहती है। कॉलोनाइजर नियमों के अनुसार जरूरी अधोसंरचना का विकास नहीं करते और न ही खुली व सुरक्षित जमीन छोड़ते हैं। इसके अलावा, आश्रय शुल्क जिला पंचायत में जमा तो होता है, लेकिन उसका उपयोग उसी क्षेत्र के विकास में नहीं हो पाता।
नगरीय निकायों पर बढ़ता आर्थिक बोझ
जब ये अविकसित कॉलोनियां बाद में नगर निगम या नगर परिषद की सीमा में शामिल होती हैं, तो वहां रहने वाले लोग सड़क, पानी, सीवरेज और अन्य सुविधाओं की मांग करते हैं। इससे नगरीय निकायों पर अचानक वित्तीय दबाव बढ़ जाता है, क्योंकि बिना योजना के बने क्षेत्रों को विकसित करने में भारी खर्च आता है।
मुख्यमंत्री के निर्देश, कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि नियमों में बदलाव कर अवैध कॉलोनियों के निर्माण को रोका जाए और जो कॉलोनियां पहले से बन चुकी हैं, वहां विकास कार्य सुनिश्चित किए जाएं। इसी क्रम में शहरों से सटी ग्राम पंचायतों में नगरीय विकास एवं आवास विभाग के नियम लागू करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे मंजूरी के लिए कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।
पंचायतों में भी लागू होंगे शहरी नियम
प्रस्तावित व्यवस्था के तहत शहरी क्षेत्रों में लागू कॉलोनाइजर नियमों का विस्तार अब शहरों से सटी पंचायतों तक किया जाएगा। कॉलोनाइजर एक्ट के सभी प्रमुख प्रावधान इन पंचायत क्षेत्रों में भी लागू होंगे। नक्शा पास कराने से लेकर अन्य सभी अनुमतियां अब नगरीय क्षेत्रों की तरह ही लेनी होंगी, जिससे मनमानी पर रोक लग सकेगी।
अधोसंरचना अनिवार्य, उल्लंघन पर सख्ती
नए नियमों के तहत कॉलोनाइजर को सड़क, पानी, बिजली, ड्रेनेज जैसी बुनियादी अधोसंरचना का विकास अनिवार्य रूप से करना होगा। यदि कोई कॉलोनाइजर नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी रखा जाएगा। इससे खरीदारों के हित सुरक्षित होंगे और अवैध निर्माण पर अंकुश लगेगा।
दो विभागों की सहमति से होंगे बदलाव
वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के नियम लागू होते हैं। ऐसे में नगरीय विकास एवं आवास विभाग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ समन्वय बनाकर आगे बढ़ेगा। दोनों विभाग आपसी सहमति से अपने-अपने नियमों में आवश्यक संशोधन करेंगे, ताकि नई व्यवस्था प्रभावी रूप से लागू हो सके।
गांवों के नियोजित विकास की दिशा में कदम
सरकार का मानना है कि इस बदलाव से न केवल अवैध कॉलोनियों पर रोक लगेगी, बल्कि ग्राम पंचायत क्षेत्रों में भी नियोजित और सुविधायुक्त विकास संभव हो सकेगा। इससे आम लोगों को सुरक्षित निवेश का भरोसा मिलेगा और भविष्य में शहरी विस्तार अधिक व्यवस्थित तरीके से हो सकेगा।