MP News : मध्य प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व को अब विश्व प्रसिद्ध पुरातत्वविद् डॉ. विष्णु वाकणकर के नाम से जाना जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को झिरी गेट पर आयोजित एक कार्यक्रम में की। 16 वर्षों की लंबी प्रक्रिया और खींचतान के बाद, रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को 2 दिसंबर को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था। इसके साथ ही, 12वें दिन इसका नाम डॉ. विष्णु वाकणकर के नाम पर रखने का फैसला किया गया। इस नामकरण के साथ ही इसे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ भी प्राप्त हुआ है।
डॉ. वाकणकर के नाम से जाना जाएगा Ratapani Tiger Reserve
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह टाइगर रिजर्व राजधानी भोपाल के बेहद करीब स्थित है, जो पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण और सुविधाजनक स्थल साबित होगा। रातापानी रिजर्व देश के किसी भी राज्य की राजधानी के सबसे नजदीक स्थित पहला रिजर्व है। इसे पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस रिजर्व को जल्दी और प्रभावी रूप से विकसित किया जाए।
भीमबेटका की खोज और डॉ. वाकणकर का योगदान
रातापानी टाइगर रिजर्व का नाम डॉ. विष्णु वाकणकर के नाम पर रखा जाना, उनकी महत्वपूर्ण खोजों और योगदानों की याद दिलाता है। डॉ. वाकणकर ने 1957 में मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की गुफाओं की खोज की थी। इन गुफाओं में पेंटिंग्स और शिलाचित्रों का अन्वेषण किया, जो प्राचीन मानव सभ्यता के महत्वपूर्ण प्रमाण हैं। उनके इस योगदान की बदौलत ही 2003 में भीमबेटका गुफाएं UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकीं।